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सिक्किम में चीन के साथ विवाद के बीच भारत और वियतनाम ने रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर दिया जोर

चीन के अड़ियल रवैये के बीच भारत और वियतनाम अपने हितों की रक्षा के लिये कड़े कदम उठाने और राणनीतिक संबंधों को मज़बबूत करने पर चर्चा की।

Updated on: 07 Jul 2017, 12:21 AM

नई दिल्ली:

चीन के अड़ियल रवैये के बीच भारत और वियतनाम अपने हितों की रक्षा के लिये कड़े कदम उठाने और राणनीतिक संबंधों को मज़बूत करने पर चर्चा की।

वियतनाम के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री फाम बिन्ह मिन्ह ने अपनी चार दिवसीय यात्रा खत्म करने के बाद कहा कि दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और वियतनाम के बीच हुए उच्च स्तरीय समझौतों पर हुई प्रगति पर विचार किया। साथ ही दोनों देशों के बीच स्थायी और मज़बूत संबंधों को कायम रखने पर चर्चा हुई।

वियतनाम के उपप्रधानमंत्री की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध जारी है और साउथ चाइना सी में चीन अपना दबदबा बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।

वियतनाम और दूसरे देश जैसे ब्रूनेई, फिलिपींस का चीन के साथ समुद्री सीमा को लेकर विवाद है और इस मुद्दे को पूर्वी एशिया में राजनयिक तौर पर बड़ा मसला माना जा रहा है।

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साउथ चाइना सी में वियतनाम की तरफ से तेल की खोज के लिये भारतीय कंपनियों को मिले ठेके पर चीन को आपत्ति है। चीन का कहना है कि उस इलाके में चीन का अधिकार है।

हालांकि भारत चीन की इस आपत्ति को नज़रअदाज़ करता रहा है। भारत का कहना है कि वियतनाम के साथ समझौता अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत है और इसमें वो वियतनाम की सहायता करता रहेगा।

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आर्थिक सहयोग पर उन्होंने कहा, 'कई भारतीय कंपनियां जैसे टाटा, ओएनजीसी विदेश वहां पर बिजली औऱ तेल की खोज में निवेश कर रही हैं।'

वो भारत और आशियान देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे और अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की।

विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि शांति, स्थिरता, सुरक्षा, समुद्री और हवाई मार्गों का मुक्त उपयोग अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत व्यापार करने पर चर्चा की गई।

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