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सूफियों की सबसे बड़ी दरगाह दाता दरबार में आतंकी हमला, 9 लोग मारे गए, 18 घायल

इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल बताए जा रहे हैं.

Updated on: 08 May 2019, 01:45 PM

highlights

  • दाता दरबार के पास बुधवार सुबह बड़ा धमाका हुआ
  • धमाका होते ही वहां अफरातफरी मच गई
  • विस्फोट की प्रकृति या विस्फोट में प्रयुक्त रसायन का अभी तक पता नहीं चला है

नई दिल्ली:

पाकिस्तान में लाहौर के दाता दरबार के पास बुधवार सुबह बड़ा धमाका हुआ. इस धमाके में 9 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल बताए जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक मरने वालों में तीन पुलिस वाले भी शामिल हैं. घायलों को अस्‍पताल ले जाया गया है. धमाका होते ही वहां अफरातफरी मच गई. अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्‍मेदारी नहीं ली है. पुलिस और सुरक्षाबल मामले की जांच कर रहे हैं. धमाके के बाद सुरक्षाबल वहां एहतियात बरत रहे हैं और इलाके की चारों तरफ से घेराबंदी कर दी गई है. घटना की जांच के लिए फोरेंसिक एक्‍सपर्ट को मौके पर बुलाया गया है.

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पाकिस्तानी दैनिक 'डॉन' के अनुसार, राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है. विस्फोट की प्रकृति या विस्फोट में प्रयुक्त रसायन का अभी तक पता नहीं चला है. डॉन न्यूज़ टीवी ने कहा कि डीआईजी ऑपरेशंस लाहौर साइट पर पहुंच रहे हैं और पास के अस्पताल में भर्ती घायलों से भी मिलेंगे. शुरुआती रिपोर्टों से पता चलता है कि police फ्लीट को विशेष रूप से टारगेट किया गया था. पंजाब प्रांत पुलिस विस्फोट स्थल पर पहुंच गई है. 

शहर के मेयो और अन्‍य अस्पतालों में घायलों को ले जाया गया. कुछ घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है. दाता दरबार तीर्थस्थल लाहौर में एक प्रमुख आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक केंद्र है. 1980 के दशक में सैन्य तानाशाह ज़िया उल-हक के शासन में इस मंदिर का बहुत विस्तार हुआ था. उस समय के दौरान यह मंदिर दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा बन गया था.

शुरुआती जानकारी के अनुसार, दाता दरबार के गेट नंबर 2 पर तैनात पुलिस के एक वाहन को निशाना बनाया गया, जिससे चार लोगों की मौत हो गई और अन्य 15 लोगों के घायल हो गए. जियो न्यूज ने बताया कि विस्फोट में तीन पुलिस अधिकारी शहीद हो गए. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विस्फोट में लगभग 20 लोग घायल हुए हैं.

बता दें नौ साल पहले भी जुलाई 2010 में दाता दरबार तीर्थस्थल को दो आत्मघाती हमलावरों ने टारगेट किया था. उस समय हमलों में 42 लोग मारे गए थे. अफसरों का कहना है कि इस समय मंदिर में हजारों लोग आते हैं. यहां फारसी सूफी संत अबुल हसन अली हजवे के अवशेष हैं. इस्लाम धर्म की सुन्नी और शिया दोनों परंपराओं से प्रत्येक वर्ष सैकड़ों लोग वहां जाते हैं. 2010 का हमला पाकिस्तान में एक सूफी मंदिर पर सबसे बड़ा हमला था.