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SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज बीजेपी के दलित सांसद, कहा-सरकार दायर करे रिव्यू पिटीशन

एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों ने पार्टी से इस मामले में रिव्यू पिटीशन डाले जाने की मांग की है।

Updated on: 22 Mar 2018, 11:03 AM

highlights

  • एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज है बीजेपी के दलित सांसद
  • दलित सांसदों ने इस मामले में कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर किए जाने की मांग की है

नई दिल्ली:

एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों ने सरकार से इस मामले में रिव्यू पिटीशन डाले जाने की मांग की है।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक बीजेपी के दलित सांसदों को लगता है कि शिड्यूल्ड कास्ट एंड शिड्यूल्ट ट्राइब्स (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से यह कानून कमजोर हुआ है और उन्होंने इसे लेकर सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत से मुलाकात की है।

गहलोत से मुलाकात कर उन्होंने इस पूरे मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष उठाए जाने की मांग की है।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एक मंत्री समेत कई सांसदों ने इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर दायर करने के लिए कहा है।

बीजेपी कार्यकाल में दलितों पर होने वाले अत्याचारों के मामले में बढ़ोतरी का आरोप लगाते हुए कांग्रेस ने भी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डालने की मांग की है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के दुरुपयोग का हवाला देते हुए तत्काल गिरफ्तारी के प्रावधान पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अब कोर्ट ने इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान भी जोड़ दिया है।

वहीं केस दर्ज होने के बाद डीएसपी रैंक के अधिकारी को पूरे मामले की जांच के लिए अधिकृत किया गया। डीएसपी रैंक से नीचे का अधिकारी एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की जांच नहीं कर सकेगा।

क्या कहता है फैसला?

1.सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act 1989) के तहत दर्ज मामले में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

2.सुप्रीम कोर्ट ने जारी दिशा-निर्देशों में कहा है कि मामला दर्ज होने के पहले जांच की जाएगी उसके बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

3.कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है, जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकती है। हालांकि यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा।

4.अदालत ने कहा कि जब आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाए उस वक्त मजिस्ट्रेट को हिरासत बढ़ाने का फैसला लेने से पहले गिरफ्तारी की वजहों की समीक्षा करनी चाहिए।

5.SC/ST एक्ट के तहत झूठे मामलों से बचने लिए सम्बंधित DSP एक शुरुआती जांच कर आरोप तय करेंगे कि क्या कोई मामला बनता है या फिर तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है।

6.यह जांच डीएसपी रैंक के नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं की जा सकती। साथ ही दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले संबंधित अधिकारी के वरिष्ठ से अनुमति लेनी होगी।

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