सुब्रमण्यम स्वामी का बड़ा आरोप, कहा- फर्जी है GDP आंकड़ें, मोदी सरकार डालती है दबाव
सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएओ) के एक सरकारी अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से नोटबंदी का कोई प्रभाव अर्थव्यव्स्था पर न दर्शाते हुए अच्छे जीडीपी आंकड़े पेश करने का दबाव है।
नई दिल्ली:
बीजेपी नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को आरोप लगाया है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएओ) के अधिकारियों पर मोदी सरकार का अर्थव्यव्स्था पर नोटबंदी का प्रभाव न दिखाने और अच्छे जीडीपी आंकड़े पेश करने का दबाव है।
अहमदाबाद में एक चार्टेड एकाउंटेंट (सीए) की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, 'कृप्या तिमाही दर आने वाले (जीडीपी) आंकड़ों पर न जाएं। यह सब बोगस (फर्जी) है। मैं आपको बता रहा हूं क्योंकि मेरे पिता ने केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) की स्थापना की थी। हाल ही में (केंद्रीय) मंत्री सदानंद गौड़ के साथ वहां गया। उन्होंने सीएसओ व्यक्ति को बुलाया क्योंकि नोटबंदी के बाद आंकड़े पेश करने का दबाव था। इसीलिए उन्होंने आंकड़ें (जीडीपी) पेश किए (कहते हुए), कि इसका (नोटबंदी) का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।'
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी ने इस सम्मेलन में कहा कि मैं नर्वस महसूस कर रहा हूं क्योंकि मुझे पता है इसका प्रभाव पड़ा था।
इसीलिए मैंने सीएसओ के निर्देशक से पूछा, 'आपने इस तिमाही के लिए जीडीपी अनुमान कैसे निकाला। जबकि नोटबंदी नवंबर 2016 में हुई थी और आपने प्रिंटेड आर्थिक सर्वेक्षण 1 फरवरी 2017 को पेश किया, जिसका मतलब है कि यह कम से कम तीन हफ्ते पहले प्रिंटिंग के लिए गया होगा। इसीलिए जनवरी 2017 के पहले हफ्ते में आपने रिपोर्ट पेश कि जिसमें जीडीपी का कोई प्रभाव नहीं दिखाया गया। आपने इसकी गणना कैसे की।?'
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स्वामी ने सालाना जीडीपी आंकड़ों पर बोलते हुए कहा, 'तो वह मुझसे कहता है, कि पिछले साल का अनौपचारिक क्षेत्र का उत्पादन पिछले साल के औपचारिक क्षेत्र के अनुपात में था, यह अनुपात जनवरी में संगठित क्षेत्र में लागू किया गया। मैंने उन्हें कहा कि इसमें संबंध बदल गया है। उसने कहा- मैं क्या करु? मैं आंकड़े पेश करने के दबाव में था और इसीलिए मैंने पेश किया। इसीलिए मैं किसी तिमाही नतीजे में विश्वास नहीं रखता।'
स्वामी का यह बयान वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी के प्रभाव को नकारते हुए कहा था कि सितंबर तिमाही में दर्ज जीडीपी में 6.3 फीसदी की बढ़ोतरी जून तिमाही से बेहतर है जब जीडीपी 5.7 फीसदी दर्ज की गई थी।
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स्वामी ने कहा, 'मूडीज़ और फिच पर विश्वास करने की ज़रुरत नहीं है। आप उन्हें पैसे दे कर कैसी भी रिपोर्ट पब्लिश करवा सकते हैं।'
बता दें कि एक महीने पहले ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की सोवरन रेटिंग 13 साल बाद बढ़ाई थी। इसके बाद दिसंबर अंत में एक और ग्लोबल रेटिंग फर्म फिच ने भारत की जीडीपी विकास अनुमान को अपने पहले के सिंतबर के पूर्वानुमान 6.9 फीसदी को घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया था।
इसके पीछे कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को 'अनुमान से ज़्यादा कमज़ोर' होने का बताया था। स्वामी ने कहा, 'हमारे पास सीएसओ है इसीलिए हमें उन पर भरोसा है। हमारी एजेंसी कर सकती है लेकिन उन पर वो काम करने का दबाव नहीं बनाना चाहिए जो वो नहीं कर सकती।'
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