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देशभर के वोटरों में शाख बचाने के लिए BJP ने पीडीपी से तोड़ा गठबंधन

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की ओर से पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने के कदम को राजनीतिक पार्टियों ने 2019 आम चुनावों से पहले देश में अपनी खोई हुई जमीन और विश्वास को हासिल करने के लिए सोची समझी चाल बताया है।

Updated on: 20 Jun 2018, 06:21 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की ओर से पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने के कदम को राजनीतिक पार्टियों ने 2019 आम चुनावों से पहले देश में अपनी खोई हुई जमीन और विश्वास को हासिल करने के लिए सोची समझी चाल बताया है।

जम्मू में पैदा हुए मौजूदा राजनीतिक संकट के बाद कांग्रेस समर्थकों के एक समूह ने राज्य में पटाखे फोड़े और मिठाईयां वितरित की।

नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन और पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने कहा, ' बीजेपी को लग रहा था कि इस गठबंधन से उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक रही है। आने वाले संसदीय चुनावों में अपनी जगह को वापस हासिल करने के लिए उसने पीडीपी की अगुवाई वाली सरकार से अपनी समर्थन वापस ले लिया।'

उन्होंने कहा कि बीजेपी के खिलाफ जम्मू के लोगों में धीरे-धीरे गुस्सा बढ़ रहा था। लोगों ने बीजेपी को 25 विधानसभा सीटें और दो संसदीय सीटों पर जीत इसलिए नहीं दी थी कि वो सत्ता में बने रहने के लिए अलगाववादी विचारधारा की पार्टी पीडीपी के सामने घुटने टेक दें।

हर्ष देव ने कहा कि पिछले 4 सालों में सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों और सुरक्षाबलों के मरने की संख्या सबसे अधिक रही है।

गौरतलब है कि बीजेपी की वैचारिक संरक्षक आरएसएस भी कश्मीर में पीडीपी से गठबंधन तोड़ने और सख्ती करने के पक्ष में थी।

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बीजेपी लीडर्स का कहना है कि फंड के बंटवारे और गवर्नेंस के दूसरे मामलों में जम्मू और लद्दाख क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा था।

वहीं राज्य में गठबंधन टूटने और सेना की कार्रवाई तेज होने से पार्टी समर्थकों और लोगों में राष्ट्रवाद की अतिरिक्त खुराक मिलने की संभावना है जो कि 2019 के आम चुनावों से पहले पार्टी की खोई हुई जमीन को वापस पाने के लिए बहुत जरूरी है।

बीजेपी समर्थक दलों और हिंदूवादी संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे देशहित में बताया है।

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