आपातकाल के 43 साल: बीजेपी नेताओं ने 'भारतीय लोकतंत्र का काला दौर' बताया
देश के अंदर 21 महीनों तक लगने वाले इस आपातकाल पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सत्ता के लोभ में कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या कर दी थी।
नई दिल्ली:
साल 1975 में 25 जून की मध्यरात्रि को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश के अंदर लगाए गए आपातकाल के आज 43 साल पूरे हो गए। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेताओं ने ट्विटर और दूसरे माध्यमों से अपनी प्रतिक्रियाएं दी।
कई बीजेपी नेताओं ने आपातकाल को 'भारतीय लोकतंत्र का काला दौर' बताया। देश के अंदर 21 महीनों तक लगने वाले इस आपातकाल पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि सत्ता के लोभ में कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या कर दी थी।
अमित शाह ने ट्वीट किया, '1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा मात्र सत्ता में बने रहने के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिये देश के लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी। देश की संसद को निष्क्रय बना कर उच्चतम न्यायालय को मूकदर्शक की हैसियत में तब्दील कर दिया गया और अखबारों की जुबान पर ताले जड़ दिये गये।'
1975 में आज ही के दिन कांग्रेस द्वारा मात्र सत्ता में बने रहने के अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिये देश के लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी। देश की संसद को निष्क्रय बना कर उच्चतम न्यायालय को मूकदर्शक की हैसियत में तब्दील कर दिया गया और अखबारों की जुबान पर ताले जड़ दिये गये। pic.twitter.com/pq3iatp0BA
— Amit Shah (@AmitShah) June 25, 2018
इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले को जर्मनी के तानाशाह हिटलर से तुलना की।
जेटली ने ट्वीट कर कहा, 'इंदिरा गांधी ने अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया, अनुच्छेद 359 के तहत मौलिक अधिकारों को रद्द कर दिया और दावा किया कि विपक्ष ने अव्यवस्था पैदा करने की योजना बनाई थी। हिटलर ने अधिकांश सांसदों को गिरफ्तार करा लिया था। इंदिरा ने भी ज्यादातर विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार करवा लिया था और उनकी अनुपस्थिति में दो-तिहाई बहुमत साबित कर संविधान में कई सारे संशोधन करवा लिए।'
वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक वीडियो ट्वीट कर कहा, 'इमरजेंसी क्यों लगाई गई थी? क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला देकर उनके चुनाव को निरस्त कर दिया था। हमने इमरजेंसी के वक्त संघर्ष किया था भारतीयों की आजादी के लिए, मीडिया की आजादी के लिए और न्यायपालिका की आजादी के लिए।'
On 25th June, 1975 Indian democracy witnessed the biggest crisis in its history. As a young student leader I had fought against #Emergency to restore the freedom of individual, freedom of media and independence of judiciary. Sharing some memories of that. pic.twitter.com/YaucTV4vpj
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) June 25, 2018
प्रसाद ने कहा कि आपातकाल के समय आजादी के लिए लड़ने वाले लोग आज सरकार में हैं।
वहीं कांग्रेस से खफा चल रहे शहजाद पूनावाला ने भी आपातकाल लागू होने के दिन 26 जून 1975 के एक अखबार की तस्वीर लगाते हुए पार्टी पर ही निशाना साधा।
पूनावाला ने लिखा, 'अगली बार वे लोकतंत्र की खतरे के बारे में बोलेंगे। एक अच्छा स्मरणपत्र...'
The next time they speak about democracy under threat .....
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) June 25, 2018
A gentle reminder...
#Emergency pic.twitter.com/bqnPyxRcAl
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को अप्रत्यक्ष तौर पर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि देश पर आपातकाल थोपने वाले आज लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं।
और पढ़ें: आपातकाल के 43 साल: अरुण जेटली ने इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की
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