यशवंत सिन्हा ने पूछा- PM मोदी ने एक साल से मिलने का समय नहीं दिया, क्या मैं धरने पर बैठ जाता?
आर्थिक मोर्चे पर केंद्र को विफल करार दे चुके बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अब सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है।
नई दिल्ली:
आर्थिक मोर्चे पर केंद्र को विफल करार दे चुके बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने अब सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक साल से मिलने का समय नहीं दिया।
सिन्हा ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा, 'मैंने सालभर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए समय मांगा था। वह मुझसे नहीं मिले। क्या मुझे उनके घर के आगे धरना देना चाहिए। सरकार और पार्टी में हमारी बात सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है।'
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने अपने बेटे और मोदी सरकार में मंत्री रहे जयंत सिन्हा की सफाई पर भी जवाब दिये।
उन्होंने कहा, 'बेटे और पिता तक सीमित सवाल नहीं है। सवाल अर्थव्यवस्था को लेकर है। इसमें मेरी कोई राजनीतिक मंशा नहीं है। बेटे ने सरकार हित में काम किया मैंने देश हित में।'
वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए कहा कि अब पिछली सरकारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'मैंने भी 40 महीने काम किया है इसलिए मैं कह सकता हूं कि पिछले तीन साल के दौरान अर्थव्यवस्था की रफ़्तार काफी धीमी रही है।'
यशवंत सिन्हा ने राजनाथ सिंह और पियूष गोयल पर तंज कसते हुए कहा, 'वो मुझसे बेहतर अर्थव्यवस्था समझते हैं। शायद इसलिए उन्हें लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरे विश्व के लिए रीढ़ की हड्डी है।'
आपको बता दें कि बुधवार को यशवंत सिन्हा ने आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए थे।
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी को देखा है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।
सिन्हा ने कहा कि गिरती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने आग में घी डालने का और बुरी तरह लागू किए गए जीएसटी से उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है और कई इस वजह से बर्बाद हो गए हैं।
सिन्हा ने कहा, 'इस वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है और बाजार में मुश्किल से ही कोई नौकरी पैदा हो रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिर कर 5.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन पुरानी गणना के अनुसार यह वास्तव में केवल 3.7 प्रतिशत ही है।'
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