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'मोदीनोमिक्स' पर यशवंत सिन्हा और RSS ने उठाए सवाल, केंद्र बोला- अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है

देश की 'खस्ता हाल अर्थव्यवस्था' पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के लेख और भारतीय मजदूर संघ के बयान ने केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।

Updated on: 28 Sep 2017, 12:25 AM

highlights

  • आरएसएस ने कहा, मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जा रही है
  • यशवंत सिन्हा का अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला, जेटली के फैसले पर उठाए सवाल
  • कांग्रेस बोली, जेटली जी ने हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया

नई दिल्ली:

देश की 'खस्ता हाल अर्थव्यवस्था' पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा के लेख और भारतीय मजदूर संघ के बयान ने केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कहा है कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जा रही है।

वहीं अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी देखी है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) यशवंत सिन्हा के बयान से मुंह चुरा रही है तो वहीं कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को सरकार पर हमले के लिए बड़ा मौका मिल गया है।

कांग्रेस बोली, मेरा कहना सच हुआ

सिन्हा के बयान का कांग्रेस ने स्वागत किया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'आज बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा जी ने लेख लिखा कि नरेंद्र मोदी जी और अरुण जेटली जी ने हिन्दुस्तान की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया, और ये सच्चाई है।'

वहीं वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था की कई कमियों और अप्रबंधन को उजागर किया है। उन्होंने कहा, 'हम खुश हैं कि यशवंत सिन्हा ने हमारी आलोचना के संबंध में बोला।

चिदंबरम ने कहा कि सिन्हा का बयान बीजेपी और अन्य पार्टियों के कई सांसदों से अलग नहीं है। इनमें से कई ने हमें निजी तौर पर और छिपे तौर पर इस बारे में कहा है।

उन्होंने कहा कि यह बहुत बुरा है कि सांसद अपने आस-पास जो देखते हैं, महसूस करते हैं, खासकर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में, उसे बयान नहीं कर सकते और हम कहते हैं कि हम एक आजाद देश में रहते हैं।

चिदंबरम ने कहा, 'केवल सांसद ही चुप नहीं हैं। हमें ऐसे कई उदाहरणों की जानकारी है, जब समाचार रपट और लेख को प्रकाशित होने से पहले हटा लिया गया, कई टेलीविजन साक्षात्कार को दिखाए जाने से पहले ऑफ एयर कर दिया गया, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाए गए और सबसे खतरनाक लोगों की वाजिब आवाजों को उनकी हत्या कर दबा दिया गया।'

उन्होंने कहा, 'बीजेपी के कई सांसदों ने अर्थव्यस्था के बारे में हमसे कहा है। किसी में भी प्रश्न करने की हिम्मत में नहीं है। महाराष्ट्र के एक सांसद ने इस संबंध में आवाज उठाई और उसे चुप रहने का निर्देश दिया गया।'

सरकार की सफाई

विपक्ष के तेवर के बीच सरकार ने यशवंत सिन्हा की अर्थव्यवस्था को लेकर की गई आलोचना खारिज कर दी और कहा कि विश्व में भारत की पहचान एक तेजी के साथ विकास कर रही अर्थव्यवस्था के रूप में बनी है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'विश्व में भारत की पहचान एक तेजी के साथ वृद्धि करती अर्थव्यवस्था के तौर पर है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी छवि काफी मजबूत है।'

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे स्वच्छ सरकार दी है और उन्होंने काला धन व भ्रष्टाचार पर जिस तरीके से हमला किया है, उस तरह से किसी ने नहीं किया।

आरएसएस ने क्या कहा?

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष साजी नारायणन ने एक बयान में सरकार से 'अर्थव्यवस्था की गिरावट रोकने के लिए' श्रम से संबंधित क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने की गतिविधियों के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने की मांग की है।

नारायणन ने कहा, 'मौजूदा सुस्ती (अर्थव्यवस्था की) रोजगार छीनने वाले सुधार और अर्थव्यवस्था को गलत दिशा में ले जाने का नतीजा है और यह सब कुछ पूर्ववती यूपीए सरकार की नीतियों का ही जारी रहना है।'

उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री मोदी के अच्छे इरादों व प्रयासों को सही विशेषज्ञों की कमी, संचार की कमी, सामाजिक क्षेत्रों से फीडबैक की कमी, गलत सलाहकारों पर निर्भरता और दिशाहीन सुधारों ने विफल कर दिया है।'

नारायणन ने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई ग्रामीण रोजगार की योजना मनरेगा आज के समय में कई राज्यों में गंभीर संकट में है क्योंकि छह महीने के बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है।

सिन्हा ने क्या कहा है लेख में?

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत बिगाड़ने और इसके बाद उत्पन्न 'आर्थिक सुस्ती' से कई सेक्टरों की हालत खस्ता होने के लिए निशाना साधा है।

सिन्हा ने कहा है जेटली अपने पूर्व के वित्त मंत्रियों के मुकाबले बहुत भाग्यशाली रहे हैं। उन्हें वित्त मंत्रालय की बागडोर उस समय मिली थी, जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीमत में कमी के कारण उनके पास लाखों-करोड़ों रुपये की धनराशि थी। लेकिन उन्होंने तेल से मिले लाभ को गंवा दिया।

उन्होंने कहा है कि विरासत में मिली समस्याएं, जैसे बैंकों के एनपीए और रुकी परियोजनाएं निश्चित ही उनके सामने थीं, लेकिन इससे सही ढंग से निपटना चाहिए था। विरासत में मिली समस्या को न सिर्फ बढ़ने दिया गया, बल्कि यह अब और बिगड़ गई है।

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सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दशकों में पहली बार निजी निवेश इतना कम हुआ और औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कृषि की हालत खस्ताहाल है, विनिर्माण उद्योग मंदी के कगार पर है और अन्य सेवा क्षेत्र धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, एक के बाद एक सेक्टर संकट में है।

वाजपेयी सरकार में वित्तमंत्री रहे सिन्हा ने कहा है कि गिरती अर्थव्यवस्था में नोटबंदी ने आग में घी डालने का काम किया और बुरी तरह लागू किए गए जीएसटी से उद्योग को भारी नुकसान पहुंचा है और कई तो इस वजह से बर्बाद हो गए हैं।

सिन्हा ने कहा है, 'इस वजह से लाखों लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ी है और बाजार में मुश्किल से ही कोई नौकरी पैदा हो रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पिछली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर गिर कर 5.7 प्रतिशत हो गई, लेकिन पुरानी गणना के अनुसार यह वास्तव में केवल 3.7 प्रतिशत ही है।'

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जीडीपी दर गणना की पुरानी पद्धति वर्ष 2015 में नहीं बदली होती तो यह अभी वास्तव में 3.7 प्रतिशत या इससे कम रहती।

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