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राफेल डील पर राहुल के आरोप का बीजेपी ने दिया जवाब, कहा - घोटालों के गुरु घंटालों को सिर्फ घोटाला नजर आता है

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'जिस व्यक्ति का पप्पू से लेकर गप्पू तक का सफर जूठ का झुनझुना लेकर शुरू हुआ हो, वो इसी तरह की बहकी-बहकी, बेसुरी और बेहूदी बातें करेगा।

Updated on: 31 Aug 2018, 03:40 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के राफेल डील को बार-बार उठाये जा रहे सवाल और मोदी सरकार पर इस डील में घोटाले के आरोप पर अब केंद्र सरकार के मंत्री ने पलटवार करते हुए उनकी तुलना पप्पू और गप्पू से की है। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, 'जिस व्यक्ति का पप्पू से लेकर गप्पू तक का सफर जूठ का झुनझुना लेकर शुरू हुआ हो, वो इसी तरह की बहकी-बहकी, बेसुरी और बेहूदी बातें करेगा। घोटालों के गुरु घंटालों को हर समय घोटाला ही नजर आएगा देश का विकास, प्रगति और सुशासन नहीं।'

इससे पहले राफेल सौदे पर अरुण जेटली ने भी बीजेपी और सरकार की तरफ से सफाई दी थी। उन्होंने एक ब्लॉगपोस्ट में कांग्रेस पर इस सौदे में करीब एक दशक की देरी का आरोप लगाया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल सौदे के तथ्यों से वाकिफ नहीं हैं।

जेटली ने कहा, 'क्या राहुल गांधी विमान की कीमत से अवगत हैं, जिसे 2007 में एल1 बोली में तय किया गया था? क्या वह इस बात से अवगत हैं कि इसमें एक वृद्धि उपबंध था, जिसके कारण 2015 में जब एनडीए ने सौदा तय किया, तब दामों में वृद्धि हो होनी थी? क्या प्रत्येक विमान की आपूर्ति तक वृद्धि उपबंध के कारण कीमतों में वृद्धि जारी नहीं रहेगी? क्या इस अवधि के दौरान रुपये और यूरो के बीच विनिमय दर में काफी अंतर के बारे में सोचा गया?'

राफेल डील पर क्या है राहुल गांधी के आरोप

कांग्रेस इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है। राहुल गांधी का कहना है कि सरकार प्रत्येक विमान 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने प्रति विमान 526 करोड़ रुपये कीमत तय की थी। पार्टी ने सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों सरकारी एयरोस्पेस कंपनी एचएएल को इस सौदे में शामिल नहीं किया गया।

कांग्रेस ने विमान की कीमत और कैसे प्रति विमान की कीमत 526 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,670 करोड़ रुपये की गई यह भी बताने की मांग की है। सरकार ने भारत और फ्रांस के बीच 2008 समझौते के एक प्रावधान का हवाला देते हुए विवरण साझा करने से इंकार कर दिया है।