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अरुण जेटली ने राहुल गांधी पर किया कटाक्ष कहा, 'दोहरा रहे राजीव गांधी वाली गलती'

बरेली में एक महिला को उसके पति ने दो बार तलाक दिया और फिर से उससे निकाह किया. इस दौरान महिला को दो बार निकाह-हलाला और इद्दत का पालन करना पड़ा.

Updated on: 08 Feb 2019, 03:38 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस का तीन तलाक (Triple Talaq) विधेयक वापस लेने के वादे की आलोचना करते हुए केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि लोगों के जमीर को झकझोरने वाली बरेली के 'निकाह हलाला' (Nikah Halala) जैसी घटनाओं को असंवैधानिक घोषित कर दिया जाना चाहिए. खबरों के मुताबिक, बरेली में एक महिला को उसके पति ने दो बार तलाक दिया और फिर से उससे निकाह किया. इस दौरान महिला को दो बार निकाह-हलाला और इद्दत का पालन करना पड़ा. पहले तलाक के बाद महिला का निकाह उसके ससुर के साथ हुआ जबकि दूसरी बार पति के भाई के साथ. मुसलमानों में तलाक देने के बाद यदि कोई व्यक्ति पत्नी से फिर से निकाह करना चाहता है तो महिला को 'निकाह-हलाला' करना पड़ता है. इसमें महिला को किसी दूसरे पुरूष के साथ निकाह कर, वैवाहिक संबंध बनाने होते हैं, फिर तलाक लेना होता है. बाद में उसे इद्दत की मुद्दत पूरी करनी होती है.

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बरेली 'निकाह-हलाला' क्या आपके जमीर को नहीं झकझोरता?' शीर्षक से फेसबुक पर लिखे एक पोस्ट में जेटली ने लिखा है, 'दुर्भाग्यवश, जब सुबह के अखबार में यह खबर पढ़ कर लोगों का जमीर जागना चाहिए था; अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष और उनके साथी अल्पसंख्यक सम्मेलन में तीन तलाक पर सजा का प्रावधान करने वाला विधेयक वापस लेने का वादा कर रहे हैं.' विधेयक फिलहाल संसद में लंबित है. मंत्री ने कहा कि दिवंगत राजीव गांधी ने 'शाह बानो' मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट कर विधायिका की सबसे बड़ी गलती की. न्यायालय ने उस फैसले में सभी मुसलमान महिलाओं को गुजारा भत्ता का अधिकार दिया था.

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उन्होंने लिखा है, इसने पति द्वारा छोड़ दी गई महिलाओं को गरीबी और अभाव में ढकेल दिया. अब 32 साल बाद उनका बेटा पीछे धकेलने वाला और एक और कदम उठा रहा है. जो ना सिर्फ उनको गरीबी की ओर धकेल रहा है बल्कि ऐसा जीवन जीने को मजबूर कर रहा है जो मानव अस्तित्व के विरूद्ध है.

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बरेली की मुसलमान महिला को जानवरों वाली हालत में धकेल दिया गया है. उन्होंने लिखा है, मतदाता महत्वपूर्ण है, लेकिन निष्पक्ष भी. राजनीतिक अवसरवादी सिर्फ अगले दिन की सुर्खियों पर ध्यान देते हैं. वहीं राष्ट्र-निर्माता अगली सदी को ध्यान में रखते हैं.