बिहार: नीतीश ने दिए संकेत, 2019 में बड़े भाई की भूमिका में लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
7 जून को पटना में मोदी सरकार के कार्यकाल के चाल साल पूरे होने पर एनडीए की मीटिंग होनी है लेकिन इससे पहले आज सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की बैठक हुई।
पटना:
7 जून को पटना में मोदी सरकार के कार्यकाल के चाल साल पूरे होने पर एनडीए की मीटिंग होनी है लेकिन इससे पहले आज सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की बैठक हुई।
2019 के चुनाव से पहले इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि इसमें नीतीश कुमार के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने भी हिस्सा लिया।
बैठक के बाद पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में जेडीयू राज्य में बड़े भाई की भूमिका में होगी। इस बयान से जेडीयू ने बीजेपी नेतृत्व को यह संदेश देने की कोशिश की है कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के तहत जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लडेगी। गौरतलब है कि बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं।
केसी त्यागी ने इस मांग को लेकर कहा कि बिहार में हम गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी हैं और राज्य में नीतीश कुमार एनडीए के सबसे बड़े नेता हैं। इसलिए उनके नेतृत्व का एनडीए फायदा उठाएगा
इसके साथ ही केसी त्यागी ने यह भी साफ कर दिया है कि साल 2019 में जेडीयू एनडीए के गठबंधन तले ही लोकसभा चुनाव में उतरेगी। हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि उनकी पार्टी कितने सीटों पर चुनाव में उतरना चाहती है।
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) आने वाले तीनों राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेगी। नीतीश कुमार के घर पर हुए बैठक में इस बात का निर्णय लिया गया है।
बैठक में जेडीयू के नेता केसी त्यागी, पवन वर्मा और रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी हिस्सा लिया। हालांकि पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी सीमित जगहों पर चुनाव लड़ेगी।
केसी त्यागी ने कहा, 'हमलोग एनडीए के बैनर के तले ही चुनाव लड़ेंगे।' वहीं सीटों को लेकर केसी त्यागी ने कहा, 'अभी तक तय नहीं हो पाया है कि उनकी पार्टी कितनी सीट चाहती है।'
वहीं जेडीयू के बयान पर बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा, 'कि बिहार में नीतीश कुमार और देश में नरेंद्र मोदी सबसे बड़े नेता हैं। हम मिल बैठकर सीटों पर विचार कर लेंगे और इसका गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।'
खास बात यह है कि बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री ने नोटबंदी को लेकर कहा था कि लोगों को इसका कोई फायदा नहीं मिला जबकि पहले नीतीश ने महागठबंधन में रहते हुए इसकी तारीफ की थी।
नीतीश के इस बयान का राजनीतिक हलकों में यह मायने लगाया जा रहा था कि नीतीश कुमार और एनडीए नेताओं में दूरी बढ़ने की वजह से ही उन्होंने ऐसा बयान दिया। नीतीश बीते मई में मोदी सरकार को चिट्ठी लिखकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की अपनी मांग दोहरा चुके हैं।
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