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नीतीश की नई सरकार में 75 फीसदी मंत्री 'दागी', कैसे खत्म होगा भ्रष्टाचार

बिहार में नीतीश कुमार ने पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के मामले को मुद्दा बनाकर गठबंधन तोड़ दिया और एनडीए के साथ नई सरकार बना ली।

Updated on: 02 Aug 2017, 06:17 PM

highlights

  • नीतीश सरकार के 75 फीसदी मंत्री दागी, एडीआर के रिपोर्ट में दावा
  • 9 मंत्रियों के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज

नई दिल्ली:

बिहार में नीतीश कुमार ने पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के मामले को मुद्दा बनाकर गठबंधन तोड़ दिया और एनडीए के साथ नई सरकार बना ली। नीतीश ने महागठबंधन टूटने के बाद कहा था कि वो किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकते।

अब नीतीश कुमार के इस दावे की पोल एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने खोलकर रख दी है। एनडीए के साथ मिलकर जो नई सरकार नीतीश कुमार ने बनाई है उसमें करीब 75 फीसदी मंत्री दागी हैं और उनपर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में एनडीए गठबंधन के तहत जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी की सरकार के 29 में से 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं कांग्रेस आरजेडी और जेडीयू के महागठबंधन वाली सरकार के 28 में से 19 मंत्री दागी थे।

गौरतलब है कि बिहार इलेक्शन वॉच और एडीआर ने चुनाव में मुख्यमंत्री सहित 29 मंत्रियों ने जो हलफनामे दिए थे उसके विश्लेषण के बाद ये रिपोर्ट तैयार की गई है।

एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के मौजूदा सरकार में 22 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि 9 मंत्रियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक केस दर्ज हैं। नई सरकार के नौ मंत्रियों की शैक्षणिक योग्यता 8वीं से लेकर 12वीं तक हैं जबकि 18 मंत्री स्नातक या फिर इससे ज्यादा की डिग्री वाले हैं।

हालांकि नीतीश कुमार की अगुवाई वाली नई सरकार में करोड़पतियों की संख्या कम हुई है। महागठबंधन में जहां करोड़पतियों की संख्या 22 थी वहीं एनडीए सरकार में इनकी संख्या घटकर 21 हो गई है।

नीतीश कुमार ने 26 जुलाई को तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई के एफआईआर दर्ज करने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कुछ ही घंटों बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के समर्थन से दोबारा सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया और अगले ही दिन उन्होंने शपथ भी ले ली।