भीमा कोरेगांव हिंसा: पांचों कार्यकर्ताओं की न्यायिक हिरासत 2 अगस्त तक बढ़ी
भीमा कोरेगांव में एक सभा में हेट स्पीच से भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तार पांचों दलित कार्यकर्ताओं की न्यायिक हिरासत 2 अगस्त तक बढ़ा दी गई है।
मुंबई:
भीमा कोरेगांव में एक सभा में हेट स्पीच से भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तार पांचों दलित कार्यकर्ताओं की न्यायिक हिरासत 2 अगस्त तक बढ़ा दी गई है।
कोर्ट ने पांचों दलित कार्यकर्ताओं को अगली सुनवाई के दौरान पेश होने के निर्देश दिए है। पुणे पुलिस ने तथाकथित 'शहरी नक्सली समर्थकों' के खिलाफ एक बड़े अभियान के तहत पिछले महीने महाराष्ट्र और नई दिल्ली से पांच दलित कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
पांचों दलित कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी पिछले साल दिसंबर में पुणे में एक सभा में कथित भड़काऊ भाषणों के सिलसिले में हुई है।
गिरफ्तार लोगों में मुंबई के सुधीर धवले, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग और दिल्ली के कार्यकर्ता रोना जैकब विल्सन शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस ने नागपुर में शोमा सेन और मुंबई में महेश राउत को भी गिरफ्तार किया ।
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गिरफ्तार लोगों ने पिछले साल 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में एलगार परिषद आयोजित किया था। यह परिषद ब्रिटिश सेना और पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध की 200वीं वर्षगांठ पर आयोजित की गई थी। इस परिषद के दूसरे दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई।
इस आयोजन को गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी, जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी और भीम सेना के अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने संबोधित किया था।
इसके एक दिन बाद (एक जनवरी को) कोरेगांव-भीमा में दंगे भड़कने के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
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