कैंसर इंस्टिट्यूट का दूसरा सबसे बड़ा हब बनेगा बनारस, रेलवे उठा रहा हैं जिम्मा
अब बनारस को कैंसर हब के रूप में विकसित करने की कवायद रेलवे ने शुरू कर दी है।
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी से सांसद व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 सितंबर को प्रस्तावित बनारस दौरे से पहले ही अब बनारस को कैंसर हब के रूप में विकसित करने की कवायद रेलवे ने शुरू कर दी है। इसकी कमान नए रेल मंत्री पीयूष गोयल के हाथों में है।
डीजल रेल इंजन कारखाना (डीएलडब्ल्यू) से जुड़े सूत्रों की मानें तो मुंबई के बाद बनारस अब कैंसर के बेहतर इलाज का दूसरा सबसे बड़ा हब बनने जा रहा है। इससे पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों के कैंसर पीड़ित मरीजों को इलाज में मदद मिलेगी।
डीएलडब्ल्यू से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) यहां एक नहीं, दो कैंसर अस्पताल संचालित करेगा। इसके बाद पूर्वोत्तर भारत में पंडित महामना मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर के बाद कैंसर का यह दूसरा अस्पताल होगा।
बकौल रेलवे अधिकारी, 'रेलवे कैंसर संस्थान को भी टाटा मेमोरियल को सौंपने का खाका लगभग तैयार हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 सितंबर के प्रस्तावित दौरे के दौरान ही इसे लेकर एक एमओयू साइन होने की संभावना है। इसकी तैयारी के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल 17 सितंबर को बनारस पहुंच रहे हैं।'
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष 20 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र में 500 करोड़ रुपये की लागत से बनारस को महामना कैंसर अस्पताल की सौगात दी थी। इसका संचालन पूरी तरह से टीएमसी को सौंपा गया है। बीएचयू में बन रहा कैंसर अस्पताल टाटा कैंसर संस्थान से भी बेहतर बनने का दावा अधिकारियों की ओर से किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बनारस में लहरतारा इलाके में रेलवे कैंसर संस्थान की सौगात वर्ष 1980 में कांग्रेस के कद्दावर नेता और तत्कालीन रेल मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी ने दी थी। हावड़ा के बाद देश का यह रेलवे का दूसरा कैंसर संस्थान था। हालांकि इसकी खराब हालत के चलते ही इसे टाटा मेमोरियल को सौंपने का फैसला किया गया है।
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डीएलडब्ल्यू के सूत्रों के मुताबिक, रेलवे बोर्ड की ओर से 14 सितंबर को एक आदेश जारी हुआ है। इस आदेश में रेलवे कैंसर संस्थान के 130 डॉक्टरों, अधिकारियों व कर्मचारियों को समायोजित करने की बात कही गई है। समायोजन के लिए सभी के सामने चार विकल्प रखे गए हैं। टीएमसी भी अपने स्तर पर चुनिंदा कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति करेगा। बचे हुए स्टाफ को रेलवे की ओर से समायोजित किया जाएगा।
अधिकारियों की मानें तो टीएमसी ने बनारस में कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले कम्युनिटी बेस कैंसर रजिस्ट्री की योजना तैयार की है। इसके तहत बीएचयू में एक डाटा बेस कलेक्शन सेंटर खोलने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत टीएमसी की टीमें पूर्वाचल के हर जिले में घर-घर जाकर कैंसर के पुराने मरीजों और संभावित मरीजों का एक आंकड़ा तैयार करेंगी।
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