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अयोध्या विवाद: श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता पर ओवैसी ने जताया ऐतराज, कहा- 'पतंगबाजी' में न पड़ें

ओवैसी ने जोर देकर कहा कि श्री श्री को इस विवाद में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। ओवैसी ने कहा कि जो लोग 'मुगल' की स्पेलिंग तक नहीं जानते वही आज खुद को हितैषी बता रहे हैं।

Updated on: 13 Nov 2017, 06:26 PM

highlights

  • अयोध्य विवाद पर श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता की खबरों पर भड़के ओवैसी
  • ओवैसी ने कहा- जो लोग 'मुगल' की स्पेलिंग तक नहीं जानते वो खुद को हितैषी बता रहे हैं
  • 5 दिसंबर से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर शुरू हो रही है फाइनल सुनवाई

नई दिल्ली:

ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने अयोध्या विवाद में श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता पर कड़ा ऐतराज जताया है।

ओवैसी ने कहा कि श्री श्री को इस 'पतंगबाजी' में खुद को शामिल नहीं करना चाहिए।

ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) पहले ही साफ कर चुका है कि वे ऐसे प्रस्ताव को स्वीकर नहीं करेंगे। उन्हें (श्री श्री रविशंकर) किसी तरह की पतंगबाजी में शामिल नहीं होना चाहिए।'

ओवैसी के मुताबिक श्री श्री को इस विवाद में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। ओवैसी ने कहा, 'जो लोग 'मुगल' की स्पेलिंग तक नहीं जानते वही आज खुद को मुगल के सबसे करीबी के तौर पर जता रहे हैं।'

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रिपोर्ट्स के अनुसार अयोध्या विवाद के कोर्ट से बाहर निपटारे की कोशिश के लिए रविशंकर कुछ ही दिन पहले निरमोही अखाड़ा और एआईएमपीएलबी के प्रतिनिधियों से मिले थे।

रविशंकर की इस पहल के बाद एआईएमपीएलबी ने कहा था कि मसले का हल केवल कोर्ट के फैसले से ही निकल सकता है।

साथ ही एआईएमपीएलबी के सदस्य और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जाफरयाब जिलानी ने इस बात से भी इंकार किया था कि उनकी ओर से कोई प्रतिनिधि आर्ट ऑफ लिविंग के फाउंडर श्री श्री से मिला था।

अयोध्या विवाद के कोर्ट से बाहर निपटारे की भी कई कोशिशें होती रही हैं लेकिन सारी कोशिशें नाकाम हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट भी पहले की एक सुनवाई में कह चुका है कि कोर्ट से बाहर मुद्दे का निपटारा ज्यादा बेहतर तरीका है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद पर फाइनल सुनवाई 5 दिसंबर से शुरू करने जा रहा है। इतिहासकारों के अनुसार बाबरी मस्जिद को 1528 में बनाया गया था। हालांकि, कई हिंदू यह दावा करते रहे हैं कि मस्जिद से पहले वहां एक राम मंदिर हुआ करता था।

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