प्रदूषण सेस के नाम पर दिल्ली सरकार ने वसूले 1500 करोड़, लेकिन एक भी पैसा नहीं हुआ खर्च
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सीमा में प्रवेश करने वाले ट्रकों पर पर्यावरण सेस लगाने का फैसला सुनाया था।
highlights
- दिल्ली सरकार ने पर्यावरण सेस के नाम पर वसूले 1500 करोड़, लेकिन खर्चा जीरो
- पर्यावरण सेस के पैसों से दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बस खरीदने का किया फैसला
नई दिल्ली:
दिल्ली इस वक्त खतरनाक प्रदूषण से जूझ रही है। लोगों का यहां सांस लेना तक मुश्किल हो चुका है। लेकिन प्रदूषण को लेकर अब दिल्ली सरकार के प्रयासों पर गंभीर सवाल उठ गए हैं।
प्रदूषण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।आए दिन केजरीवाल सरकार इस मामले में एनजीटी की फटकार भी खा रही है।
इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर सरकारी एजेंसिया दिल्ली में ट्रकों और कारों से 1500 करोड़ रुपये वसूल चुकी है लेकिन उसका एक भी पैसा प्रदूषण को कम करने में खर्च नहीं किया गया है।
10 नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक करीब 1003 करोड़ पर्यावरण सेस (ECC) की वसूली की गई है। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सीमा में प्रवेश करने वाले ट्रकों पर पर्यावरण सेस लगाने का फैसला सुनाया था।
इसके अलावा साल 2008 में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए प्रति लीटर डीजल पर भी पर्यावरण सेस लगाया था। इसका मकसद दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन को और बेहतर बनाना और सड़कों की स्थिति को सुधारना था लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने बीते साल अगस्त महीने में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 2000 सीसी से ज्यादा की गाड़ियों से करीब 62 करोड़ रुपये पर्यावरण सेस वसूला है।
दक्षिण दिल्ली नगर निगम इस पर्यावरण सेस को वसूलती है और हर हफ्ते इसे परिवहन विभाग में जमा कराया जाता है। दिलचस्प ये है कि साल 2007 में ही दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के मकसद से शीला दीक्षित सरकार ने डीजल पर सेस लगाने का पैसला किया था
इस मामले को लेकर दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारी ने कहा एक दिन पहले ही इस फंड का नए इलेक्ट्रिक बस खरीदने के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है।
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अधिकारी ने कहा, 'हम इस फंड का इस्तेमाल इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ाने के लिए करेंगे। इलेक्ट्रिक बसें काफी महंगी है इसलिए हम पहले फेज में सब्सिडी के साथ इसे खरीदेंगे। इसमें उसे चलाने के लिए जो अन्य खर्चें है उन्हें शामिल नहीं किया गया है।'
हालांकि दिल्ली सरकार की तरफ से अभी ये साफ नहीं किया गया है कि अभी कितनी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी जाएंगी और इसके लिए कितने पैसे की जरूरत होगी।
इसके अलावा 120 करोड़ रुपये रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान यंत्र लगाने के लिए खर्च किए जा सकते है जिससे की ट्रकों से और प्रभावी और विश्वसनीय तरीके से सेस वसूला जा सके।
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