logo-image

अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण से अधिक ताकत उनके मौन में थी: पीएम नरेंद्र मोदी

उन्‍होंने कहा, अटल जी के बारे में घंटों तक बोला जा सकता है पर बात पूरी नहीं होगी. दशकों तक सत्ता से दूर रहने के बाद भी लोगों की सेवा करना आम आदमी की आवाज बुलंद करना उनकी राजनीति की शैली थी.

Updated on: 12 Feb 2019, 01:32 PM

नई दिल्ली:

संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आदमकद प्रतिमा लगा दी गई है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपस्‍थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, संसद भवन के सेंट्रल हॉल में अब अटल जी इस नए रूप में हम लोगों को आशीर्वाद देंगे. उन्‍होंने कहा, अटल जी के बारे में घंटों तक बोला जा सकता है पर बात पूरी नहीं होगी. दशकों तक सत्ता से दूर रहने के बाद भी लोगों की सेवा करना आम आदमी की आवाज बुलंद करना उनकी राजनीति की शैली थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, अटल जी के जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. उनके भाषण की बहुत चर्चा होती है, जितनी ताकत उनके भाषण में थी, उससे कई गुना ताकत उनके मौन में थी. कब बोलना है कब मौन रहना है, ये उनकी खासियत थी. व्यंग करना भी उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और संसद के सदस्‍य मौजूद रहे. अटल जी के परिवार के सदस्य भी सेंट्रल हॉल में मौजूद रहे.

बता दें कि भाजपा के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी 1996 में 13 दिन, फिर 1998-99 में 13 महीने और 1999-2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. लंबी बीमारी के बाद एम्स में 16 अगस्त 2018 को वाजपयी का निधन हो गया था.

संसद के सेंट्रल हॉल में पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा लगाने का फैसला 18 दिसंबर को संसद की पोरट्रेट कमेटी की बैठक में हुआ था. लोकसभा की स्पीकर की अध्यक्षता में हुई बैठक में डिप्टी स्पीकर एम थम्बी दुरई, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, बीजद के बी माहताब, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, टीआरएस जितेंद्र रेड्डी, शिवसेना के अनंत गीते और भाजपा के सत्यनारायण जटिया शामिल हुए थे. सभी ने सर्वसम्मति से वाजपेयी की प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया था. सेंट्रल हॉल में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की प्रतिमाएं पहले से ही लगी हुई हैं.