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असम: फर्जी एनकाउंटर मामले में मेजर जनरल समेत 7 को उम्रकैद

असम में 1994 में 5 युवकों के फर्जी एनकाउंटर मामले में आर्मी कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

Updated on: 15 Oct 2018, 07:07 AM

नई दिल्ली:

असम में 1994 में 5 युवकों के फर्जी एनकाउंटर मामले में आर्मी कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. जिसमें एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 सैनिक शामिल है. दरअसल, असम में 1994 में 5 युवकों का फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया था. जिसमें असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) के कार्यकर्ताओं प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबाजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन की हत्या कर दी गई थी. बताया जाता है कि इन पांचों एक्टिविस्टस् को पंजाब रेजिमेंट की एक यूनिट ने 4 अन्य लोगों केसाथ मिलकर तिनसुकिया जिले की अलग-अलग जगह से उठाया था.

बताया जाता है कि तलप टी एस्टेट के असम फ्रंटियर टी लिमिटेड के जनरल मैनेजर रामेश्वर सिंह को उल्फा उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. जिसके बाद सेना ने 9 लोगों को हिरासत में लिया था. इनमें से 5 लोगों कुख्यात डांगरी फेक एनकाउंटर में मार दिए गए थे. 24 साल बाद इस मामले में असम के डिब्रूगढ़ जिले के डिंजन स्थित 2 इन्फैन्ट्री माउंटेन डिविजन में हुए कोर्ट मार्शल में सुनाया गया.

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सूत्रों के मुताबिक इनमें मेजर जनरल एके लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, कर्नल आरएस सिबिरेन, जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और नॉनकमिशंड ऑफिसर्स दिलीप सिंह, जगदेव सिंह, अलबिंदर सिंह और शिवेंदर सिंह हैं.

हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और इसमें 2 से 3 महीने का वक्त लग सकता है. हालांकि दोषी सैन्यकर्मी इस फैसले के खिलाफ आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.

गौरतलब है कि मेजर जनरल लाल को लेह स्थित 3 इन्फैंट्री डिविजन के कमांडर पद से 2007 में तब हटा दिया गया था जब एक महिला अधिकारी ने उनके खिलाफ योग सिखाने के बहाने 'अनुचित व्यवहार' और 'बदसलूकी' का आरोप लगाया था. बाद में 2010 में उन्हें कोर्ट मार्शल के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया था, लेकिन आर्म्ड फोर्सेज ट्राइब्यूनल ने उनकी रिटायरमेंट बेनिफिट्स को बहाल कर दिया था.

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