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गुजरात के पूर्व IPS डी जी वंजारा ने किया आसाराम का बचाव, कहा- उन्होंने कभी रेप नहीं किया

लड़की से बलात्कार के आरोप में सजा पाए आसाराम के बचाव में गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा सामने आए हैं।

Updated on: 25 Apr 2018, 08:32 PM

highlights

  • डी जी वंजारा ने अपने को बताया आसाराम का शिष्य
  • वंजारा ने कहा कि 77 वर्षीय संत 'सनातक हिंदू धर्म के रक्षक' थे
  • वंजारा ने कहा कि हम इसके खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे

अहमदाबाद:

स्वयंभू संत आसाराम को 2013 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में राजस्थान के जोधपुर की एक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने और उम्र कैद की सजा सुनाए जाने के बाद गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी डी जी वंजारा उनके बचाव में सामने आए हैं।

एक फर्जी मुठभेड़ मामले में कथित रूप से संलिप्त रहे गुजरात के पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक ने कहा कि आसाराम को बलात्कारी कहना 'अनुचित' है।

उन्होंने कहा, 'हम फैसले का सम्मान करते हैं और अदालत में साबित किसी भी फैसले को न तो चुनौती देते हैं और न ही समर्थन करते हैं।'

जोधपुर एससी/एसटी अदालत के न्यायाधीश मधुसूदन शर्मा द्वारा आसाराम के खिलाफ सजा सुनाने के बाद उनके अहमदाबाद स्थित आश्रम पहुंचे वंजारा ने कहा, 'हालांकि यौन उत्पीड़न मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भी आसाराम को बलात्कारी कहा जाना उचित नहीं है।'

वंजारा ने कहा, 'पीड़िता द्वारा दाखिल एफआईआर या आरोप-पत्र में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि उसके साथ बलात्कार किया गया। इसमें कहा गया है कि उन्होंने उसे अनुचित ढंग से छूने की कोशिश की।'

वंजारा के अनुसार, पीड़िता ने मुकदमे के दौरान भी यह कभी नहीं कहा कि उसके साथ बलात्कार किया गया है।

वंजारा ने कहा, 'शिकायत के बाद पीड़िता की कराई गई चिकित्सा जांच में उसकी कौमार्यता को अक्षुण्ण पाया गया। यह कभी बलात्कार का मामला नहीं था। यह सजा बलात्कार करने के लिए नहीं सुनाई गई।'

वंजारा ने कहा, 'पीड़िता ने कहा है कि बापूजी ने उसे गलत इरादे से छुआ, जो कि एक अपराध है। लेकिन मुझे संदेह है कि क्या आसारामजी ने ऐसा किया होगा। उन्हें इस संबंध में सजा सुनाई गई है, लेकिन किसी अदालत का निर्णय अंतिम नहीं है।'

उन्होंने कहा, 'हम इस फैसले का आदर करते हैं, लेकिन हम इसके खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे। हमें विश्वास है कि हमें न्याय मिलेगा।'

वंजारा ने पहले भी दावा किया था कि आसाराम को इस मामले में फंसाया गया है। उन्होंने 2016 में दावा किया था, 'एक पुलिस अधिकारी होने के नाते, मैं जानता हूं कि असाराम को पूरे मामले फंसाया गया है। उनके खिलाफ किया गया एफआईआर फर्जी है।'

वंजारा ने कहा, 'आसाराम के खिलाफ मामला एक षड़यंत्र था, क्योंकि 77 वर्षीय संत 'सनातक हिंदू धर्म के रक्षक' थे।'

मध्यप्रदेश में आसाराम के छिंदवाड़ा आश्रम में कक्षा 12वीं की छात्रा के साथ अगस्त 2013 में बलात्कार किया गया था।

छिंदवाड़ा में उसकी बीमारी की शिकायत के बाद, आसाराम ने राजस्थान में जोधपुर के बाहरी इलाके में स्थित मनाई गांव में अपने आश्रम में लड़की और उसके परिजनों को बुलाया था।

पीड़िता की शिकायत के अनुसार, 'आसाराम ने वर्ष 2013 में 15-16 अगस्त की आधीरात को उसके साथ एक घंटे तक बलात्कार किया।'

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उसने इस घटना की जानकारी अपने परिजनों को दी, जिन्होंने 20 अगस्त को कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।

आसाराम को इंदौर में गिरफ्तार किया गया और एक सितंबर, 2013 को जोधपुर लाया गया। उसके बाद दो सितंबर, 2013 से वह न्यायिक हिरासत में हैं।

आसाराम को बुधवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376, पोक्सो अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया।

पुलिस ने आसाराम और चार अन्य सह सहयोगियों शिवा, शिल्पा, शरद और प्रकाश के खिलाफ इन अधिनियमों के तहत छह नवंबर, 2013 में आरोप-पत्र दाखिल किया था।

पुष्ट सूत्रों ने बताया कि अदालत ने शिल्पी (आसाराम के आश्रम की वार्डन) और शरद को दोषी ठहराया है, जबकि शिवा व प्रकाश को अदालत ने बरी कर दिया है। आसाराम गुजरात में एक और यौन उत्पीड़न मामले का सामना कर रहे हैं।

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