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सरकार की चेतावनी, बैंकों में केवल पैसा जमा कराने से काला धन व्हाइट नहीं हो जाएगा

नोटबंदी के बाद उन जनधन खातों में भी बड़े पैमाने पर पैसे जमा हुए हैं, जिन्हे जीरो बैलेंस पर खोला गया था।

Updated on: 08 Dec 2016, 09:48 PM

highlights

  • नोटबंदी के बाद जनधन खातों में बड़े पैमाने पर जमा हुए पैसे
  • 15.44 लाख करोड़ रुपयों में 11.85 लाख रुपये बैंक में वापस आ चुके हैं

नई दिल्ली:

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है नोटबंदी के बाद काले धन को व्हाइट कराने वालों को कड़ी चेतावनी दी है। जेटली ने कहा कि जो लोग यह सोच रहे हैं कि बैंकों में अघोषित धन को जमा कराने से उनका पैसा व्हाइट हो जाएगा वह समझ लें कि उन्हें उन पैसों पर टैक्स देना पड़ेगा।

पिछले महीने सरकार के 500 और 1000 रुपयों के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा के बाद अब तक 76 फीसदी करेंसी बैंकों में आ चुकी है। आकड़ों के मुताबिक नोटबंदी से पहले 500 और 1000 के पुराने नोटों के करीब 15.44 लाख करोड़ रुपयों के मूल्य के पैसे बाजार में थे। इनमें से 11.85 लाख रुपये बैंक में वापस आ चुके हैं।

अरुण जेटली ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'मैं केवल यह कह सकता हूं कि बैंकों में पैसा कराने का मतलब यह नहीं है कि काला धन अब व्हाइट हो गया। इन अघोषित पैसों पर टैक्स लगना है।'

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जेटली ने कहा कि बैंकों में जितने भी पैसे जमा किए जा रहे हैं, उन पर कड़ी नजर है ताकि पर्याप्त टैक्स लगाए जा सकें।

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद उन जनधन खातों में भी बड़े पैमाने पर पैसे जमा हुए हैं, जिन्हे जीरो बैलेंस पर खोला गया था। पिछले चार हफ्तों में जनधन खातों में 36,809 करोड़ रुपये जमा हुए हैं।

पत्रकारों से बात करते हुए जेटली ने डिजिटल लेन-देन की भी वकालत की और कहा कि इसे बढ़ावा देना अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अच्छा है।

यह पूछे जाने कि क्या वह राजनीतिक पार्टियों को भी डिजिटल रूप में चंदा लेने की बात कहेंगे, जेटली ने कहा निश्चित रूप से यही भविष्य है।

जेटली के मुताबिक, अगर यह डि़जिटल होता है, चंदा के पैसे कम होते हैं और चंदे देने वाले बड़े देनदारों से अगर कम से कम चंदा आने लगे तो भारतीय लोकतंत्र के लिए यह बड़ा दिन होगा।'

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जेटली ने कहा कि वह बार-बार यह कहते रहे हैं कि कैश से डील करने का नुकसान अर्थव्यवस्था और राजनीतिक सिस्टम को उठाना पड़ता है। जेटली के अनुसार, अगर आपने बड़े लोकतंत्र को देखा है, तो आप पाएंगे कि लाखों, करोड़ो लोग छोटी-छोटी राशियों में राजनीतिक पार्टियों के लिए चंदा देते हैं।