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राज्यसभा में विपक्ष का वॉक आउट, जेटली ने कहा - बहस से भाग रहा विपक्ष

विपक्ष के राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किए जाने के बाद सरकार ने पलटवार किया है।

Updated on: 06 Feb 2018, 07:38 PM

highlights

  • विपक्ष के राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किए जाने के बाद सरकार ने पलटवार किया है
  • जेटली ने कहा कि विपक्ष सार्थक मुद्दों पर चर्चा करने की बजाए उससे दूर भाग रहा है

नई दिल्ली:

विपक्ष के राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किए जाने के बाद सरकार ने पलटवार किया है।

मंगलवार सुबह विपक्षी दलों ने सरकार पर संसद के अंदर और बाहर आवाज दबाए जाने का आरोप लगाते हुए दोपहर बाद की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्यसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने जो किया, वह अभूतपूर्व है। जेटली ने कहा, 'कांग्रेस और कुछ अन्य दल वैसे मुद्दे को खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो वास्तव में है ही नहीं।'

उन्होंने कहा कि इस हफ्ते संसद में राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों समेत कई मसले हैं, जिन पर चर्चा की जानी है। 

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'लेकिन नियमों का उल्लंघन करने के साथ हर दिन संसद को स्थगित करने की कोशिश की जा रही है। जाहिर है कि वह बहस से भाग रहे हैं।'

गौरतलब है कि दोपहर बाद राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने बीते दिनों से शून्यकाल और प्रश्नकाल के आयोजन के बिना ही सदन के स्थगित होने का मुद्दा उठाया।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संसद 'नियम, विनियम, प्रक्रिया व परंपराओं के अनुसार काम करती है, किसी एक की मर्जी के मुताबिक नहीं।'

आजाद के साथ दूसरे विपक्षी नेता भी हो गए। इसमें समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के तपन सेन शामिल थे।

उप सभापति पी जे कुरियन ने कहा कि सदन में सभापति के फैसले पर सवाल नहीं किया जा सकता और असंतुष्ट सदस्य सभापति के कक्ष में उनसे मुलाकात कर सकते हैं।

इस पर नाराज आजाद ने विपक्ष के दिन भर के लिए सदन के बहिष्कार की घोषणा की और पूरा विपक्ष सदन से बाहर निकल गया। कुरियन ने इसके बाद सदन को दोपहर बाद 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले सुबह डेरेक ओ ब्रायन ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी द्वारा राज्य सरकार के प्रशासनिक मामलों की उपेक्षा करने की कोशिश को लेकर नियम 267 के तहत चर्चा के लिए नोटिस दिया था।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने नोटिस को खारिज कर दिया था और जब शून्यकाल के दौरान ओ ब्रायन मामले पर दृढ़ रहे तो नायडू ने सदन को दोपहर बाद दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया, जिसमें प्रश्नकाल का समय दोपहर 12 बजे से एक बजे तक का समय भी निकल गया।

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