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सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल है अमरनाथ यात्रा, बिना मुस्लिमों के पूरे नहीं होते बाबा बर्फानी के दर्शन

अमरनाथ यात्रा से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरे एक बस पर जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में सोमवार की रात आतंकियों ने हमला कर दिया।

Updated on: 11 Jul 2017, 04:28 PM

highlights

  • अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले में ड्राइवर सलीम शेख ने बचाई कई लोगों की जान
  • अमरनाथ यात्रा में कई मुस्लिम करते हैं हिन्दू तीर्थयात्रियों की मदद

नई दिल्ली:

अमरनाथ यात्रा से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरे एक बस पर जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में सोमवार की रात आतंकियों ने हमला कर दिया। इस हमले में 7 लोग मारे गए। हमला और बड़ा हो सकता था अगर बस के ड्राइवर सलीम शेख बहादुरी ना दिखाते।

बस ड्राइवर सलीम शेख ने अपने सूझ-बूझ से बिना डरे हमले के बाद गाड़ी की रफ्तार और बढ़ा दी और तब-तक बस नहीं रोकी जब-तक उसे उन्होंने सुरक्षित स्थान पर नहीं पहुंचा दिया।

धर्म के नाम जो लोग हिंसा फैलाते हैं उन्हें सलीम से सीखने की जरूरत है कि असली धर्म लोगों की जान बचाना है क्योंकि उस बस में सिर्फ सलीम मुस्लिम था। बाकी सभी हिन्दू तीर्थयात्री थी फिर भी उसने अपने जान की बाजी लगा दी।

इतना ही नहीं अमरनाथ यात्रा के दौरान आपको पूरे रास्ते में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की अलग मिसाल देखने को मिलेगी। अमरनाथ यात्रा के पूरे रास्ते में मुस्लिम समुदाय के लोग यात्रा कर रहे हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिए लंगर का आयोजन करते हैं।

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यात्रा में इस्तेमाल होने वाले अधिकांश चीजों की दुकान भी मुस्लिम समुदाय के लोग ही चलाते हैं। अमरनाथ यात्रा कर रहे जो लोग वहां से प्रसाद खरीद कर लाते हैं वो प्रसाद भी मुस्लिम ही बेचते हैं।

ग्वालियर का रहने वाला एक ऐसा भी मुस्लिम परिवार है जो हर साल हज यात्रा की तरह ही अमरनाथ यात्रा भी करता है। नवाब खान नाम का शख्स अपने परिवार के साथ बम-बम भोले सेवा दल के माध्यम से बेहद कम पैसे में गरीब हिन्दुओं को भी अमरनाथ यात्रा कराते हैं साथ ही खुद भी कई सालों से पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं।

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