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बीजेपी में नहीं है 'अमित शाह' का विकल्प गृहमंत्री के साथ बने रह सकते हैं पार्टी के अध्यक्ष

गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभाल सकते हैं वो भी गृहमंत्री रहते हुए.

Updated on: 12 Jun 2019, 06:13 AM

highlights

  • अमित शाह गृहमंत्रालय के साथ बने रह सकते हैं पार्टी अध्यक्ष
  • साल 2012 में हुआ था नियमों में परिवर्तन
  • पार्टी में नहीं है अमित शाह का विकल्प

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) के गृहमंत्री (Home Minister) बनने के बाद से ही पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर गहमा-गहमी तेज हो गई है. मीडिया में आए दिन तरह-तरह की खबरें आती हैं कि अब फलां नेता बनेंगे भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, बीजेपी जोर-शोर से ढूंढ रही है पार्टी के लिए नया अध्यक्ष लेकिन सूत्रों की मानें तो गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर से पार्टी अध्यक्ष का पदभार संभाल सकते हैं वो भी गृहमंत्री रहते हुए. दरअसल इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि भले ही पार्टी के पास नेताओं की कोई कमी नहीं है लेकिन जिस तरह से पार्टी को जमीनी स्तर शाह की अध्यक्षता में मजबूती मिली है वैसा कभी नहीं हो पाया है इसके अलावा पार्टी में अमित शाह की भरपाई कोई भी पूरा नहीं कर सकता है.

भारतीय जनता पार्टी के संविधान (BJP constitution) के मुताबिक लोग यह कयास लगा रहे थे कि 'एक व्यक्ति, एक पद' के सिद्धांत के अनुसार, अमित शाह के गृहमंत्री पद ग्रहण करने के बाद उनको पार्टी के सभी कार्यों से मुक्त कर दिया जाना चाहिए, लेकिन साल 2012 में बीजेपी को संविधान बदलने के बाद अब इस नियम का पार्टी अध्यक्ष के लिए कोई जिक्र नहीं है. इस बात के लिए सबसे बड़ा उदाहरण पीयूष गोयल (Piyush Goel) का नाम है. गोयल मंत्री बनने से पहले पार्टी के कोषाध्यक्ष के पद पर थे लेकिन जब उन्हें मंत्री बना दिया गया तब बीजेपी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर कोषाध्यक्ष के पद से तो उनका नाम हटा लिया लेकिन नया नाम नहीं डाला जिससे ये पता चलता है कि पार्टी के इस पद को अभी भी पीयूष गोयल ही संभाल रहे हैं.

भारतीय जनता पार्टी के पहले संविधान के मुताबिक एक अध्यक्ष को महज 3 साल का ही कार्यकाल मिलता था, मगर अब 2012 के बाद यह बदलाव किया गया है कि अब एक अध्यक्ष को 2 कार्यकाल दिये जाएंगे, बता दें कि अमित शाह ने 2016 में अधिकारिक तौर पर पद संभाला था जो 2019 जनवरी में खत्म हुआ इसलिए अब उनको दूसरा कार्यकाल मिलेगा तो वह 2022 तक अध्यक्ष रह सकते हैं. आपको बता दें कि साल 2014 में प्रचंड बहुमत में आने के बाद साल 2016 तक तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath singh) ने ही यह पदभार संभाला था.