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क्‍या आप जानते हैं हिंदी के नहीं हैं ये रोजाना इस्तेमाल होने वाले शब्द

माना जाता है कि भारत में करीब 42 करोड़ की आबादी हिंदी बोलती हैं

Updated on: 24 Dec 2018, 02:36 PM

नई दिल्‍ली:

माना जाता है कि भारत में करीब 42 करोड़ की आबादी हिंदी बोलती हैं लेकिन यह बात आप भी नहीं जानते होंगे कि रोज इस्‍तेमाल होने वाले कई शब्‍द हिंदी के नहीं होते. ऐसे बहुत सारे शब्‍द हैं जिनके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे. आज हम आपको कुछ ऐसे शब्द बताएंगे जो हर भारतीय इस्तेमाल करता है लेकिन हिंदी के नहीं है यह शब्द. जैसे तारीख, यह शब्द अरेबिक भाषा का शब्द है लेकिन इसे आम तौर पर हिंदी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. वैसे ही 'मायने' शब्द भी अरेबिक भाषा का है, लेकिन हिंदी का इस्तेमाल करने वाले सभी लोग इसका इस्तेमाल अवश्य करते हैं. आइए जानते हैं तमाम ऐसे शब्‍दों को ....

अखबार – यह भी अरेबिक भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

तीसरी और आठवीं शताब्दी के बीच में चीन में न्यूज़ देने के लिए लकड़ी के टुकड़े , सिल्क या पेपर का इस्तेमाल करते थे लेकिन वह सिर्फ गवर्नमेंट न्यूज़ के लिए ही इस्तेमाल हुआ करती थी.आम लोगों के लिए जब तक किसी भी तरह का न्यूज़ पेपर जारी नहीं हुआ था फिर उसके बाद 1582 में बीजिंग में न्यूज़ पेपर लोगों के लिए भी जारी किया गया और 1556 में इटली में भी इसी तरह पेपर या लकड़ी के टुकड़े ऊपर न्यूज़ लिखते थे. सबसे पहला न्यूज़ पेपर 1605 में जर्मनी में बनाया गया था जिसका नाम रिलेशन था. आधुनिक जर्मनी का पहला अखबार अवीसा था जो 1609 में वॉल्फेंबुटेल में प्रकाशित हुआ था.

चाय – यह एक चाइनीज भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

सबसे पहले सन् 1815 में कुछ अंग्रेज़ यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे. भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने 1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया.

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इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग़ लगाए गए. कहते हैं कि एक दिन चीन के सम्राट शैन नुंग रखे गर्म पानी के प्याले में, कुछ सूखी पत्तियाँ आकर गिरीं जिनसे पानी में रंग आया और जब उन्होंने उसकी चुस्की ली तो उन्हें उसका स्वाद बहुत पसंद आया. बस यहीं से शुरू होता है चाय का सफ़र. ये बात ईसा से 2737 साल पहले की है.

लीची – यह भी चाइनीज भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

चीन के अति प्राचीन काल में तंग वंश के राजा ज़ुआंग जांग का प्रिय फल था. राजा के पास वह द्रुतगामी अश्वों द्वारा पहुंचाया जाता था, क्योंकि वह केवल दक्षिण चीन के प्रांत में ही उगता था. लीची को पश्चिम में पियरे सोन्नेरैट द्वारा प्रथम वर्णित किया गया था (1748-1814) के बीच, उनकी दक्षिण चीन की यात्रा से वापसी के बाद. सन 1764 में इसे रियूनियन द्वीप में जोसेफ फ्रैंकोइस द पाल्मा द्वारा लाया गया और बाद में यह मैडागास्कर में आयी और वह इसका का मुख्य उत्पादक बन गया.

कारतूस – यह एक फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

कारतूस किसी बंदूक़, पिस्तौल या अन्य हथियार में डाली जाने वाली ऐसी वास्तु को कहते हैं जिसमें किसी धातु, प्लास्टिक या काग़ज़ के खोल में गोली और उसे धमाके के साथ तेज़ गति पर चला देने वाला पदार्थ हो. कारतूस का आकार विशेष रूप से हथियार की नली में डलने के लिए ठीक बनाया जाता है. हथियार चलाने पर ट्रिगर की चोट से चालाक पदार्थ में धमाका होता है जिस से वह तेज़ी से गोली नली से बाहर फेंकता है. ऐसा कारतूस जिसमें गोली न हो 'ब्लैंक' (blank) कहलाया जाता है और चलाये जाने पर बिना गोली छोड़े केवल धमाकेदार आवाज़ ही करता है.

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साधारण भाषा में कभी-कभी पूरे कारतूस को ही गोली बुला दिया जाता है. 'कारतूस' को अंग्रेज़ी में 'कारट्रिज​' (cartridge), फ़्रांसीसी में 'एतुइ' (étui), पुर्तगाली में 'कारतूचो' (cartucho) और फ़ारसी में 'फ़िशंग' कहा जाता है. फ़्रांसीसी में इसे 'कारतूश' (cartouche) भी कहा जाता था और यही शब्द परिवर्तित होकर हिन्दी, उर्दू व अन्य भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं में आया है

साबुन – यह एक फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

ब्रिटिश शासन के दौरान इंग्लैंड के लीवर ब्रदर्स ने भारत में पहली बार आधुनिक साबुन पेश करने का जोखिम उठाया. कंपनी ने साबुन आयात किए और यहां उनकी मार्केटिंग की. हालांकि नॉर्थ वेस्ट सोप कंपनी पहली ऐसी कंपनी थी जिसने 1897 में यहां कारखाना लगाया. साबुन की कामयाबी की एक अहम कड़ी में जमशेदजी टाटा ने 1918 में केरल के कोच्चि में ओके कोकोनट ऑयल मिल्स खरीदी और देश की पहली स्वदेशी साबुन निर्माण इकाई स्थापित की. इसका नाम बदलकर टाटा ऑयल मिल्स कंपनी कर दिया गया और उसके पहले ब्रांडेड साबुन बाजार में 1930 की शुरुआत में दिखने लगे. 1937 के करीब साबुन धनी वर्ग की जरूरत बन गया.

  • रिक्शा – यह एक जापानीज भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • ताजा – यह एक परशियन भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • तौलिया – यह एक पुर्तगाली भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • अदब – यह भी अरेबिक भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • काफी – यह भी अरेबिक भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

तंबाकू – यह एक पोर्तुगीज भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है. दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, एक धीमा जहर. हौले-हौले यह आदमी की जान लेता है. सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह राजस्व प्राप्त करनी है, यह बात तो सही है किंतु यह भी सही है कि तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर जितना खर्च किया जाता है, यह राजस्व उससे कहीं कम है.

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सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवनी शक्ति का भी ह्रास होता है. व्यक्ति को पता चल जाता है कि तम्बाकू का सेवन हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत छूटती नहीं. सो धीरे-धीरे उसमें जीवनी शक्ति भी कम होती जाती है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले भी कर देता है.

तोप – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

सन् 1313 ई. से यूरोप में तोप के प्रयोग का पक्का प्रमाण मिलता है. भारत में बाबर ने पानीपत की लड़ाई (सन् 1526 ई.) में तोपों का पहले-पहले प्रयोग किया. इस समय की एक प्रसिद्ध तोप मॉन्स मेग है, जो अब एडिनबरा के दुर्ग पर शोभा के लिए रखी है. इसके बाद लगभग 200 वर्षों तक तोप बनाने में कोई विशेष उन्नति नहीं हुई. इस युग में नालों का संछिद्र (बोर) चिकना होता था. परंतु लगभग सन् 1520 में जर्मनी के एक तोप बनानेवाले ने संछिद्र में सर्पिलाकार खाँचे बनाना आरंभ किया. इस तोप में गोलाकार गोले के बदले लंबोतर "गोले" प्रयुक्त होते थे.

  • हफ्ता – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • हवा – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • कातिल – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • दुकान – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.

  • बादाम – यह एक तुर्किश भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.
  • आया – यह एक पोर्तुगीज भाषा का शब्द है जिसे भारत में इस्तेमाल किया जाता है.