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मंत्री का दावा, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन जरूरी, बातचीत जारी

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी के एक नेता ने दावा किया है कि अगर बीजेपी-शिवसेना दोनों अलग होकर 2019 विधानसभा चुनाव में लड़ती है तो हार का सामना करना पड़ेगा।

Updated on: 14 Feb 2018, 12:00 AM

नई दिल्ली:

केंद्र और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सहयोगी शिवसेना भले की सत्तारूढ़ दल से अलग होकर आगामी चुनावों में जाने का ऐलान कर चुकी हो लेकिन 'हार का डर' दोनों दलों को सता रही है।

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि अगर बीजेपी-शिवसेना दोनों अलग होकर 2019 विधानसभा चुनाव में लड़ती है तो हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि गठबंधन पर बातचीत जारी है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए मंत्री ने कहा, 'उद्धव ठाकरे (शिवसेना प्रमुख) के करीबी एक वरिष्ठ नेता मेरे घर आए थे और गठबंधन पर बातचीत हुई। दोनों दलों के लिए गठबंधन जरूरी है, क्योंकि अगर कांग्रेस-एनसीपी एक साथ चुनाव लड़ती है और हम अलग होकर चुनाव लड़ते हैं तो, दोनों दलों (बीजेपी-शिवसेना) को हार का सामना करना पड़ सकता है। अगर हम एक साथ मिलकर लड़ते हैं, हम करीब 190 सीट (288 सीटों में) जीतेंगे।'

जब मंत्री से पूछा गया कि ठाकरे आगामी सभी चुनाव अपने दम पर लड़ेंगे तो उन्होंने बिहार के राजनीतिक समीकरण की याद दिलाते हुए कहा कि वहां नाटकीय रूप से बदलाव आए।

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उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने सार्वजनिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया, लेकिन वह बाद में साथ आए। यहां भी ऐसा ही होगा।'

अगर मोदी जैसे नेता देश की खातिर नीतीश को स्वीकार कर सकते हैं, तो हम (राज्य के नेताओं) छोटे भूनें हैं। हमारे पास अहंकार क्या होना चाहिए

उन्होंने कहा, 'अगर मोदी जैसे नेता देश के खातिर नीतीश को स्वीकार कर सकते हैं, हम (राज्य स्तर के) तो छोटे नेता हैं। हमारे पास कैसा अहंकार होगा।'

मंत्री ने दावा किया कि बीजेपी-शिवसेना दोनों दलों के ज्यादातर नेता चाहते हैं कि गठबंधन जारी रहे।

वहीं शिवसेना के वरिष्ठ नेता ने बातचीत के बीजेपी नेता के दावे को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, 'केवल अफवाह फैलाई जा रही है।'

आपको बता दें कि 23 जनवरी को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बड़ा फैसला लेते हुए 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अपने सहयोगी दल बीजेपी से गठबंधन ना कर अलग लड़ने का निर्णय लिया था।

चार साल में यह दूसरी दफा है जब शिवसेना ने अपने अकेले के बूते पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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