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पीएम नरेंद्र मोदी की अपील को दरकिनार कर विपक्ष ने फिर दिखाया असहयोग

जाहिर है अगर इस मसले पर विरोध भी दर्ज कराना था तो यह काम बैठक में शामिल होकर भी किया जा सकता था.

Updated on: 19 Jun 2019, 08:08 PM

highlights

  • कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने शुरू किया असहयोग आंदोलन.
  • वाम मोर्चे के नेता बैठक में शामिल हुए, लेकिन जताया विरोध.
  • केंद्र और राज्य एक साथ चुनाव कराने के लिए बुलाई थी पीएम मोदी ने बैठक.

नई दिल्ली.:

अभी संसद सत्र शुरू हुए तीसरा दिन ही है, लेकिन कांग्रेस और शेष विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह गंभीर मसलों पर भी केंद्र सरकार को समर्थन देने को तैयार नहीं है. समर्थन तो दूर वह अपना विरोध जताने के लिए भी उचित माध्यम को दरकिनार कर रहा है. संसद के बजट सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार करने के बाद बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक देश, एक चुनाव' पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में भी कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दल शामिल नहीं हुए. वाम दल और एनसीपी शामिल हुए, लेकिन सिर्फ विरोध जताने के लिए.

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बैठक में शामिल हो दर्ज करा सकते थे विरोध
गौरतलब है कि 'एक देश, एक चुनाव' पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुधवार को बुलाई थी. इस मसले पर चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने किनारा कर लिया. हालांकि वाम दल और एनसीपी ने इसमें हिस्सा लिया. कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया, वहीं बीएसपी अध्यक्ष मायावती, टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बैठक से किनारा कर लिया. जाहिर है अगर इस मसले पर विरोध भी दर्ज कराना था तो यह काम बैठक में शामिल होकर भी किया जा सकता था.

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नायडू, केसीआर, स्टालिन भी रहे नदारद
हालांकि इस बैठक के विरोध में मायावती ने ट्वीट कर कहा, 'अगर ईवीएम के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक होती तो वह इसमें जरूर शामिल होतीं.' एसपी ने कहा था कि वह इस मुद्दे के विरोध में है. हालांकि आप ने पार्टी के नेता राघव चड्ढा को पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में बैठक में भेजने का फैसला किया, लेकिन बाद में ऐन मौके टाल दिया. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन भी बैठक में शामिल नहीं हुए. एनसीपी चीफ अध्यक्ष शरद पवार के इस बैठक में भाग ले रहे हैं. टीडीपी चीफ चंद्रबाबू नायडू ने इस बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.

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मुंबई कांग्रेस ने इस मसले पर जताया समर्थन
यह अलग बात है कि एक देश एक चुनाव के मसले पर कांग्रेस में ही विरोध के स्वर शाम तक फूटने लगे. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने स्पष्ट कर दिया कि, भारत की 70 साल की चुनावी यात्रा ने हमें सिखाया है कि भारतीय मतदाता राज्य और केंद्रीय चुनावों में अंतर कर सकता है. उन्होंने कहा, हमारा लोकतंत्र न तो नाजुक है और न ही अपरिपक्व है. यहां पर किसी मसले पर बाद विवाद पर बहस की पूरी गुंजाइश है. भले ही वह मसला 'एक देश-एक चुनाव' का हो या किसी और का.