दिल्ली में सांस लेना हुआ मुश्किल, कड़कड़ाती ठंड के बीच वायु गुणवत्ता 'बेहद गंभीर'
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा कि अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार सुबह कड़कड़ाती ठंड रही. यहां न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो मौसम के औसत तापमान से दो डिग्री कम है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा कि अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने की संभावना है और सुबह 8.30 बजे आद्र्रता का स्तर 91 फीसदी दर्ज किया गया। उन्होंने कहा, 'शहर के अधिकांश इलाकों में सुबह दृश्यता 800 मीटर रही.'
पालम इलाके में दृश्यता 350 मीटर दर्ज की गई. वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूवार्नुमान प्रणाली (सफर) के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में समग्र वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में पाई गई.
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'शहर के ज्यादातर हिस्सों में हल्के से मध्यम कोहरा छाया रहा. वहीं कुछ स्थानों पर घना कोहरा देखने को मिला। कई स्थानों पर शीतलहर के साथ आसमान साफ रहेगा.' दिन में धुंध और कोहरा छाया रहेगा.
वहीं, गुरुवार को अधिकतम तापमान औसत से एक डिग्री ऊपर 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जबकि न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री कम 3.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण स्तर बढ़ने पर एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को कहा कि वर्तमान प्रदूषण के संदर्भ में एन95 मास्क और पॉलिशन मास्क सांस से संबंधित खतरों में लंबे समय तक संरक्षण प्रदान नहीं कर सकते हैं।
एन 95 मास्क और एयर प्यूरीफायर की बिक्री पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण के कारण बढ़ गई है।' एन95 मास्क एक श्वसन यंत्र (रेस्पिरेशन सिस्टम ) हैं, जो नाक और मुंह को कवर करता है।
प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए गुलेरिया ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण संबंधी बीमारियों के कारण लगभग 30,000 अनुमानित मौतों का संकेत दिया है।
गुलेरिया ने कहा, 'मैं एक बार फिर चेतावनी देना चाहता हूं कि वर्तमान प्रदूषण के स्तर के कारण मरीजों की मौत हो सकती है खासकर उन लोगों की, जो सांस संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं।'
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओपीडी में सांस के रोग से पीड़ित मरीजों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गुलेरिया ने कहा, 'प्रदूषण से बच्चे और वृद्ध सबसे अधिक रूप से प्रभावित हैं। ऐसे प्रदूषण को देखते हुए आज के बच्चे अगले 20 साल में फेफड़े की गंभीर बीमारी से पीड़ित होंगे।'
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