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छत्तीसगढ़ सरकार से सुप्रीम कोर्ट में कहा- आगस्ता वेस्लैंड हेलीकॉप्टर खरीद में भ्रष्टाचार नहीं

छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद मामले में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार किया है।

Updated on: 23 Nov 2017, 03:06 PM

नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीद मामले में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार किया है।

राज्य सरकार ने कहा है कि याचिकाकर्ता के आरोप गलत हैं और जो डील हुई थी उसमें पारदर्शिता बरती गई थी। राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि यूरोकॉप्टर और दूसरी कंपनी के हेलीकॉप्टर हमारे मापदंड की ज़रूरतों को पूरा नहीं कर रहे थे। सिर्फ ऑगस्टा वेस्टलैंड के हेलीकॉप्टर ही मापदंड को पूरा करते हैं इसलिये इसकी खरीद को मंजूरी दी गई।

राज्य सरकार डील से जुड़े दस्तावेजों के साथ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी। जिसके बाद याचिकाकर्ता इस पर जवाब देंगे। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को करेगा।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि 2007 में हुई इस खरीद में लगभग 10 करोड़ रुपए का कमीशन लिया गया था। साथ ही आरोप लगाया गया है कि इस डील से राज्य के मुख्यमंत्री सीएम रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह को फायदा पहुंचाया गया था।

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इससे पहले 16 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से डील से जुड़े दस्तावेज मंगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि टेंडर सिर्फ ऑगस्टा वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर के लिए क्यों जारी किया गया। साथ ही पूछा गया है कि दूसरी कम्पनियों को इसमें शामिल क्यों नही किया गया।

इसके अलावा कोर्ट ने पूछा था कि क्या टेंडर प्रक्रिया को लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी की राय को नजरअंदाज किया गया। कोर्ट ने कहा कि वो इस मामले की तकनीकी पहलुओं पर नहीं जाना चाहता, पर ये देखना जरुर चाहता है कि क्या इस डील में किसी तरह की अनियमितता हुई है।

मामला क्या है

स्वराज अभियान की ओर से दायर याचिका में इस डील में हुई कथित गड़बड़ियों और रमन सिंह के बेटे के विदेशी खातों की जांच की मांग की गई है। मामला 2006-2007 में छत्तीसगढ़ में अगुस्ता वेस्टलैंड कंपनी के हेलीकॉप्टर की खरीद से जुड़ा है।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस सौदे में लगभग 10 करोड़ रुपए का कमीशन लिया गया है। ये भी आरोप लगाया गया है कि 17 करोड़ तक में हो सकने वाले सौदे के लिए 42 करोड़ दिए गए।

इस सौदे में मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे पर भी आरोप लगा कि डील फाइनल होने के छह महीने बाद उन्होंने फर्जी कम्पनी बनाई।

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