मोदी सरकार के तीन साल: किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी केंद्र सरकार
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों को दिए गए कर्ज में किसी भी प्रकार की छूट की संभावना से इनकार करते हुए सोमवार को कहा कि केंद्र की योजना माफी के बजाय उनकी आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं व पहलों में निवेश की है।
highlights
- देश भर के किसानों की कर्ज माफी की संभावना से केंद्र ने किया इनकार
- पीएम मोदी के वादे के मुताबिक यूपी के किसानों की कर्ज माफी के बाद देश के अन्य इलाकों सेे उठ रही मांग
- लगातार दो साल से सूखे की मार झेल रहे तमिलनाडु के किसानों ने ऋण माफी की मांग को लेकर मार्च में दिल्ली में आंदोलन शुरू किया था
New Delhi:
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने किसानों को दिए गए कर्ज में किसी भी प्रकार की छूट की संभावना से इनकार करते हुए सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का उद्देश्य किसानों का सशक्तिकरण करना और कर्ज माफी के बजाय उनकी आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं व पहलों में निवेश की है।
सिंह ने अपने मंत्रालय की तीन साल की उपलब्धियों को गिनाने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हमारा उद्देश्य किसानों का सशक्तिकरण करना है। हम कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी और गोदामों की मरम्मत करना चाहते हैं। हम उन योजनाओं में निवेश कर रहे हैं, जिनका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना है।'
हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में किसानों का कर्ज माफ करा दिया जाएगा।
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद हुई पहली कैबिनेट बैठक में राज्य के किसानों का 1 लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर दिया गया था।
सिंह ने कहा कि कर्ज माफ करने से किसानों की समस्याएं खत्म नहीं होंगी, इसलिए सरकार का ध्यान कृषि वस्तुओं की कीमतें कम करने तथा किसानों को सुविधाएं प्रदान करने पर है।
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उत्तर प्रदेश द्वारा छोटे तथा सीमांत किसानों के एक लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने के बाद सभी प्रदेशों से किसानों के ऋण माफ करने की मांग उठने लगी है। हाल ही में तमिलनाडु के किसानोंने दिल्ली में मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था।
सिंह ने कहा, 'प्रदेश में कर्ज माफी का फैसला उत्तर प्रदेश सरकार का था। हमारी (केंद्र) प्राथमिकता किसानों को साहूकारों के चंगुल में फंसने से बचाने की है। हम इसमें पारदर्शिता चाहते हैं। हमने अल्पकालिक ऋण के लिए क्रेडिट को 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है।'
लगातार दो साल से सूखे की मार झेल रहे तमिलनाडु के किसानों ने ऋण माफी की मांग को लेकर मार्च में राष्ट्रीय राजधानी में 40 दिवसीय आंदोलन शुरू किया था।
बाद में, मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को किसानों के ऋण माफ करने को कहा। साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने साल 2008 के बजट में छोटे तथा सीमांत किसानों के ऋण माफ कर उन्हें राहत प्रदान करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी।
कांग्रेस सहित अधिकांश विपक्षी पार्टियां देश भर में किसानों की ऋण माफी की मांग कर रही हैं।
इसी तरह की मांग महाराष्ट्र तथा पंजाब से भी आई है। पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के लगभग 150 किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को किए गए वादे याद दिलाने के लिए एक दिन की भूख हड़ताल की थी।
इसी तरह के एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस नेताओं ज्योतिरादित्य सिंधिया, ऑस्कर फर्नाडीस ने किसानों को भरोसा दिलाया कि संसद के आगामी सत्र में उनके मुद्दे उठाए जाएंगे।
इस साल मार्च में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अध्यक्ष अरुं धती भट्टाचार्य ने कहा था कि ऋण माफी के प्रचलन से ऋण लेने वालों में गलत धारणा पैदा होगी। एसबीआई की अध्यक्ष के इस बयान पर राजनीति सहित विभिन्न हलकों में खासा बवाल हुआ था।
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