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आतंकी मनन वानी के मारे जाने के बाद अलगाववादियों के बंद से घाटी में जनजीवन प्रभावित

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मुठभेड़ के दौरान पीएचडी छात्र और फिर हिज्बुल का कमांडर बने आतंकी मनन वानी की मौत के विरोध में अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंद से कश्मीर घाटी में जनजीवन प्रभावित हुआ है.

Updated on: 12 Oct 2018, 01:46 PM

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मुठभेड़ के दौरान पीएचडी छात्र और फिर हिज्बुल का कमांडर बने आतंकी मनन वानी की मौत के विरोध में अलगाववादियों द्वारा बुलाए गए बंद से कश्मीर घाटी में जनजीवन प्रभावित हुआ है. सईद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और यासीन मलिक की अध्यक्षता वाले अलगाववादी समूह संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) ने गुरुवार को हिजबुल कमांडर मनान बशीर वानी की हत्या के विरोध में बंद का आह्रान किया. वानी पीएचडी छोड़ आतंकी गुट से जुड़ गया था.

जनवरी में आतंकवादी संगठन में शामिल होने से पहले वानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का पीएचडी छात्र था. वह कुपवाड़ा जिले के लोलाब इलाके का रहने वाला था, जहां हजारों लोगों ने उसके जनाजे में हिस्सा लिया. क्षेत्र में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं.

हंदवाड़ा की शतगुंड़ गांव में आतंकवादियों के होने की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने गुरुवार को खोज अभियान शुरू किया, जहां मुठभेड़ में वानी वह एक अन्य कश्मीरी आतंकवादी आशिक जरगार मारे गए. घाटी में दुकानें, सार्वजनिक परिवहन, कारोबार और शैक्षणिक संस्थान बंद हैं.

एहतियात के तौर पर कश्मीर के बारामूला और जम्मू के बनिहाल के बीच रेल सेवाएं रोक दी गई हैं. वहीं दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए आंतकी मनन वानी के जनाजे की नमाज पढ़ने और शोक सभा आयोजित करने के आरोप में तीन कश्मीरी छात्रों को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) ने सस्पेंड कर दिया है.