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ज्वैलरी चोरी की एफआईआर दर्ज न होने पर पीएम को लिखी चिठ्ठी, पूछा- क्या यही हैं अच्छे दिन?

दिल्ली के खुरंजा इलाके में एक पिता ने अपनी बेटी की शादी के लिए 25 साल से ज्वैलरी संभाल कर रखी थी। लेकिन चोर उस ज्वैलरी को चुराकर फरार हो गए।

Updated on: 08 Nov 2017, 11:43 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली के खुरंजा इलाके में एक पिता ने अपनी बेटी की शादी के लिए 25 साल से ज्वैलरी संभाल कर रखी थी। लेकिन चोर उस ज्वैलरी को चुराकर फरार हो गए। इसके बाद पुलिस द्वारा चोरी की एफआईआर न लिखे जाने के बाद उस पिता ने पीएम को पत्र लिखा और पूछा क्या यही है सपनों का भारत, यही हैं अच्छे दिन?

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के झील खुरंजा इलाके में रहने वाले सुरेंद्र कुमार पोस्टमैन की नौकरी से रिटायर्ड हैं। रिटायर्ड सुरेंद्र कुमार के घर से 9 अगस्त को चोरों ने लॉकर तोड़कर करीब 20 तोला सोना और दूसरे गहने चोरी करके फरार हो गए। उन्होंने ये गहनें अपनी बेटी की शादी के लिए 25 साल से संभाल कर रखे थे।

सुरेंद्र का आरोप है कि गीता कॉलोनी पुलिस थाने में शिकायत करने के बावजूद केस दर्ज नहीं किया गया। यही वजह है कि कई दिनों तक बुजुर्ग एफआईआर दर्ज करवाने के लिए इधर-उधर का चक्कर काटता रहा।

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इसी बात से नाराज रिटायर्ड पोस्टमैन ने देश के पीएम और गृहमंत्री को चिट्ठी लिखी। दिलचस्प यह है कि बुजुर्ग पोस्टमैन सुरेंद्र कुमार ने अपनी शिकायत में मोदीजी पर जो तंज कसे, पुलिस ने एफआईआर में उन्हें भी उतार दिया है।

सुरेंद्र का कहना है कि उन्होंने पुलिस के रवैये से निराश होकर अच्छे दिन और सपनों के भारत पर तंज कसा था। साथ ही जीएसटी और नोटबंदी पर खुशी भी जताई थी। उन्हें उम्मीद बंधी है कि आखिरकार उनकी शिकायत पर सुनवाई हो।

बुज़ुर्ग सुरेंद्र के पत्र का पीएम कार्यालय ने तुरंत जबाब दिया और गृहमंत्रालय के आदेश पर आखिरकार वारदात के 3 महीने बाद 6 नवंबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की।

बुज़ुर्ग सुरेंद्र ने अपनी चिठ्ठी में लिखा- मोदीजी, क्या यही अच्छे दिन आने वाले थे। क्या यही सपनों का भारत है। मैंने 35 साल पोस्टमैन के तौर पर देश सेवा की। गर्मी-सर्दी-बरसात की कभी परवाह नहीं की, लेकिन बदले में मुझे क्या मिला। मेरी जीवन भर की कमाई लुट गई।

बेटी की शादी के लिए 25 सालों से सहेजे गहने चोरी हो गए, लेकिन दिल्ली पुलिस एफआईआर तक दर्ज करने को तैयार नहीं है। मैं सड़क पर आ गया। पिछले साल पत्नी की मौत हो गई। बेटी हमेशा रोती रहती है। मैं क्या करूं।

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