कोर्ट के आदेश के बाद, स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और लुधियाना रेलवे स्टेशन का मालिक बना किसान
संपूरण सिंह का मुआवजा 1 करोड़ 47 लाख बनता था, लेकिन रेलवे ने उसे मात्र 42 लाख रुपये का भुगतान किया।
नई दिल्ली:
लुधियाना की एक ज़िला आदालत ने जमीन अधिग्रहण मामले में मुआवजे के बदले स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और लुधियाना स्टेशन एक किसान के नाम कर दिया। जी हां सुनने में आपको ये अजीबोगरीब लग सकता है लेकिन ये सच है। मामला लुधियाना के कटाना गांव ने रहने वाले किसान संपूरण सिंह का है। जहां लुधियाना के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज जसपाल वर्मा ने ट्रेन संख्या 12030 को किसान के नाम कर दिया।
दरसअल, मामला 2007 में लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के लिए हुए जमीन अधिग्रहण से जु़ड़ा हुआ है। उस दौरान लाइन के लिए हुए अधिग्रहण में संपूरण सिंह की जमीन भी गई थी। अदालत ने रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा 25 लाख प्रति एकड़ से बढ़ाकर 50 लाख प्रति एकड़ कर दिया था। इस हिसाब से संपूरण सिंह का मुआवजा 1 करोड़ 47 लाख बनता था, लेकिन रेलवे ने उसे मात्र 42 लाख रुपये का भुगतान किया।
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2012 में यह मामला कोर्ट पहुंचा और तीन साल बाद यानी 2015 में इस पर फैसला आया। लेकिन रेलवे ने फिर भी इस रकम का भुगतान नहीं किया। इसके बाद किसान अदालत के फिर कोर्ट का रूख किया जिसके बाद लुधियाना जिला और सत्र न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया। जिसके तहत अदालत ने अमृतसर से दिल्ली के बीच चलने वाली स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस संपूरण सिंह के नाम करते हुए उसे घर ले जाने की अनुमति दे दी। साथ ही लुधियाना स्टेशन भी किसान के नाम से ही कर दिया गया।
इस आदेश के बाद तकनीकी रूप से किसान संपूरण सिंह स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस के मालिक बन गए हैं। इसलिए वो अपने वकील के साथ ट्रेन पर कब्जा लेने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंच गए। वकील ने अदालत के आदेश पत्र को रेल ड्राइवर के सामने दिखाते हुए कहा कि ये ट्रेन अब किसान संपूरण सिंह की है, इसलिए इन्हें सौंप दी जाए। लेकिन सेक्शन इंजीनियर प्रदीप कुमार ने सुपरदारी के आधार पर ट्रेन को किसान के कब्जे में जाने से रोक लिया और अब यह ट्रेन कोर्ट की संपत्ति है।
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किसान संपूरण सिंह के वकील ने ट्रेन के ड्राइवर को कोर्ट का आदेश थमाया, नोटिस चिपकाई गई। जिसके बाद ट्रेन विदा हुई। किसान संपूरण सिंह ने कहा कि उन्होंने ट्रेन को इसलिए नहीं रोका क्योंकि यात्रियों को दिक्कत होती।
किसान के वकील का कहना है कि अगर मुआवजे की रकम नहीं मिली तो अदालत से कुर्क की गई रेलवे की संपत्ति को नीलामी की सिफारिश की जाएगी। वहीं रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि मुआवजे को लेकर कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई है जिसे दूर कर लिया जाएगा।
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