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गुजरात चुनाव के बाद मटियामेट हुई AAP की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा, सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त

गुजरात चुनाव ने आम आदमी पार्टी(आप) के देशव्यापी प्रसार की आकांक्षा को मटियामेट कर दिया है। पार्टी ने जोर-शोर के साथ उत्साहपूर्वक गुजरात चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन उसका यह दांव उल्टा पड़ गया।

Updated on: 19 Dec 2017, 11:33 PM

highlights

  • गुजरात चुनाव ने आम आदमी पार्टी के देशव्यापी प्रसार की आकांक्षा को मटियामेट कर दिया है
  • गुजरात में सभी 29 सीटों पर आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई
  • एक सीट पर आप के उम्मीदवार को महज 282 मत मिले जबकि दूसरी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को महज 299 वोट मिले

नई दिल्ली:

गुजरात चुनाव ने आम आदमी पार्टी (आप) के देशव्यापी प्रसार की आकांक्षा को मटियामेट कर दिया है।

पार्टी ने जोर-शोर के साथ उत्साहपूर्वक गुजरात चुनाव लड़ने का ऐलान किया था लेकिन उसका यह दांव उल्टा पड़ गया।

गुजरात में सभी 29 सीटों पर आप के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक एक सीट पर आप के उम्मीदवार को महज 282 मत मिले जबकि दूसरी सीट पर पार्टी के उम्मीदवार को महज 299 वोट मिले।

इतना ही नहीं आप नेताओं ने राज्य में दो चरणों में हुए चुनाव प्रचार के दौरान कोई कैंपेन नहीं किया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और श्रम मंत्री एवं राज्य के प्रभारी गोपाल राय ने राज्य में एक भी रैली नहीं की।

केजरीवाल ने हालांकि राज्य में दलितों पर हुए अत्याचार और पटेल आंदोलन का मुद्दा उठाया लेकिन इसके बावजूद जमीन पर कोई असर नहीं हुआ।

गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन गोवा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद दूसरा बड़ा झटका है जहां कुल 39 सीटों में से 38 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

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वहीं पंजाब में भी दो दर्जन से अधिक उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। गौरतलब है कि गोवा और पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले पार्टी ने कहा था कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में हर सीट पर चुनाव लड़ेगी।

लेकिन चुनावी नतीजों के बाद पार्टी नेताओं ने केवल दिल्ली में ही ध्यान देने की घोषणा की। दिल्ली में भी पार्टी को राजौरी गार्डेन विधानसभा सीट और एमसीडी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।

हालांकि दिल्ली की बवाना सीट पर हुए उप-चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को मात देने के बाद पार्टी ने गुजरात में चुनाव लड़ने का फैसला लिया।

पार्टी के कार्यकर्ता गुजरात की सभी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन आलाकमान ने महज 29 सीटों पर लड़ने का फैसला लिया।

विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सभी उम्मीदवारों को 10,000 रुपये बतौर जमानत जमा करना होता है और कुल मतों का छठा हिस्सा नहीं मिलने की स्थिति में आयोग यह राशि जब्त कर लेता है।

आप नेताओं ने इस मामले में फिलहाल कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है लेकिन पार्टी से निलंबित विधायक कपिल मिश्रा ने इस पर तंज कसा है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'आप को गुजरात में मजह 0.0003 फीसदी मिले जबकि नोटा को 1.8 फीसदी वोट मिले। पिछले साल जहां सूरत में केजरीवाल ने 'जोरदार रैली' की थी, वहां आप को महज 121 वोट मिले। केजरीवाल गुजरात को सिखा रहे थे कि कैसे वोट करना है।'

सूरत पश्चिम में आप के उम्मीदवार सलीम मुल्तानी को महज 299 वोट मिले। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो इस चुनाव से आप की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पर कोई असर नहीं होगा।

सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डिवेलपिंग सोसायटीज के डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा कि आप से लोगों को इतनी ज्यादा उम्मीदें थी कि उन्हें लग रहा था कि दिल्ली चुनाव की तरह की आप प्रदर्शन करेगी।

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