राफेल पर तेज़ हुई सियासत, AAP सांसद संजय सिंह ने CBI को लिखा खत, PM मोदी के खिलाफ FIR की मांग
राफेल डील को लेकर एक अखबार में छपी रिपोर्ट ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है.
नई दिल्ली:
राफेल डील को लेकर एक अखबार में छपी रिपोर्ट ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है. केंद्र सरकार पर विपक्ष के हमलों के बीच रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में इस रिपोर्ट का जिक्र किया. इस रिपोर्ट को रक्षा मंत्री ने सिरे सेखारिज कर दिया. राफेल मसले पर इस रिपोर्ट द्वारा हवा मिलने पर विपक्ष ने हमलावर तेवर अख्तियार कर लिए हैं. AAP सांसद संजय सिंह ने CBI को पत्र लिखा है. सिंह ने राफेल डील में एफआईआर दर्ज करने के लिए एक पत्र लिखा है. संजय सिंह ने खत में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से भारत के राजकोष को भारी नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करने की अपील की, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल हैं. उन्होंने आगे लिखा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अखबार द्वारा किए गए खुलासे की जांच होनी चाहिए.
AAP MP Sanjay Singh in a letter to CBI: After registration of FIR, a thorough investigation must be conducted in the light of the disclosure made by the newspaper-The Hindu. #RafaleDeal https://t.co/Nkti52oTEt
— ANI (@ANI) February 8, 2019
अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक राफेल डील पर फ्रांस सरकार के साथ प्रधानमंत्री कार्यालयकी समानांतर सौदेबाजी का रक्षा मंत्रालय ने कड़ा विरोध किया था. रक्षा मंत्रालय का 24 नवंबर, 2015 एक नोट तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के संज्ञान में लाया गया था.
आज लोकसभा में भी राफेल के मुद्दे पर तीखी आभास हुई. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मुद्दे पर हमलावर तेवर अख्तियार करते हुए सवालों का जवाब दिया. रक्षा मंत्री ने कहा कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वायुसेना की मजबूती में विपक्ष की कोई रूचि नहीं है. रक्षामंत्री ने अंग्रेजी अख़बार द हिन्दू में छपी रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए कहा कि पीएमओ की ओर से विषयों के बारे में समय-समय पर जानकारी लेने को हस्तकक्षेप नहीं कहते.
मीडिया की रिपोर्ट के संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें आचार (एथिक्स) का पालन करना चाहिए था और अगर अखबार चाहता था कि सचाई सामने आए तो उसे तब के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का बयान भी शामिल करना चाहिए था. पर्रिकर ने कहा था कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है और चीजें अच्छे तरीके से आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वह 4 जनवरी को इस मुद्दे पर बयान दे चुकी हैं.
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