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एक नेता जिसने विश्व पटल पर दी हिन्दी को पहचान

14 सितंबर को ही हिन्दी दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 14 सितंबर 1949 को ही संविधान सभा ने हिन्दी का राजभाषा घोषित करने का निर्णय लिया था

Updated on: 13 Sep 2016, 06:48 PM

New delhi:

हम हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाते हैं आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि इसी दिन क्यों मनाया जाता है हम आपको बताते हैं 14 सितंबर को ही हिन्दी दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि आज ही के दिन 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया था कि हिन्दी भारत की राजभाषा होगी।

इस दिन के महत्व को बताने के लिए और हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रचारित-प्रसारित करने के लिए हिन्दी दिवस और सितंबर में ही हिन्दी पखवाड़ा मनाया जाता है। देश में ही नहीं विदेश में भी हिन्दी को प्रचारित- प्रसारित करने में औऱ विदेशियों को हिन्दी भाषा के प्रति आकर्षित करने के लिए अगर देश में नेताओं में सबसे पहले किसी का नाम लिया जा सकता है तो वो हैं देश के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी।

अटल बिहारी वाजपेयी को हिन्दी से बेहद लगाव था इसलिए साल 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री रहते हए अटल बिहारी वाजपेयी ने यूएन में अपना पहला भाषण हिन्दी में ही दिया था जो उस वक्त बेहद लोकप्रिय हुआ और पहली बार यूएन जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की राजभाषा गूंजी। इतना ही नहीं भाषण खत्म होने के बाद यूएन में आए सभी देश के प्रतिनिधियों ने खड़े होकर अटल बिहारी वाजपेयी का तालियों से स्वागत किया।

पढ़िए आज से करीब 40 साल पहले यूएन जैसे अंतराष्ट्रीय मंच पर वाजपेयी जी ने हिन्दी में क्या कहा था।

मैं भारत की जनता की ओर से राष्ट्रसंघ के लिए शुभकामनाओं का संदेश लाया हूं। महासभा के इस 32 वें अधिवेशन के अवसर पर मैं राष्ट्रसंघ में भारत की दृढ़ आस्था को पुन: व्यक्त करना चाहता हूं। जनता सरकार को शासन की बागडोर संभाले केवल 6 मास हुए हैं फिर भी इतने अल्प समय में हमारी उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं। भारत में मूलभूत मानव अधिकार पुन: प्रतिष्ठित हो गए हैं जिस भय और आतंक के वातावरण ने हमारे लोगों को घेर लिया था वह अब दूर हो गया है ऐसे संवैधानिक कदम उठाए जा रहे हैं जिनसे ये सुनिश्चित हो जाए कि लोकतंत्र और बुनियादी आजादी का अब फिर कभी हनन नहीं होगा। अध्यक्ष महोदय वसुधैव कुटुंबकम की परिकल्पना बहुत पुरानी है भारत में सदा से हमारा इस धारणा में विश्वास रहा है कि सारा संसार एक परिवार है अनेकानेक प्रयत्नों और कष्टों के बाद संयुक्त राष्ट्र के रूप में इस स्वप्न के साकार होने की संभावना है यहां मैं राष्ट्रों की सत्ता और महत्ता के बारे में नहीं सोच रहा हूं। आम आदमी की प्रतिष्ठा और प्रगति के लिए कहीं अधिक महत्व रखती है अंतत: हमारी सफलताएं और असफलताएं केवल एक ही मापदंड से नापी जानी चाहिए कि क्या हम पूरे मानव समाज वस्तुत: हर नर-नारी और बालक के लिए न्याय और गरिमा की आश्वसति देने में प्रयत्नशील हैं। अफ्रीका में चुनौती स्पष्ट हैं प्रश्न ये है कि किसी जनता को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ रहने का अनपरणीय अधिकार है या रंग भेद में विश्वास रखने वाला अल्पमत किसी विशाल बहुमत पर हमेशा अन्याय और दमन करता रहेगा। नि:संदेह रंगभेद के सभी रुपों का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए हाल में इजरायल ने वेस्ट बैंक को गाजा में नई बस्तियां बसा कर अधिकृत क्षेत्रों में जनसंख्या परिवर्तन करने का जो प्रयत्न किया है संयुक्त राष्ट्र को उसे पूरी तरह अस्वीकार और रद्द कर देना चाहिए। यदि इन समस्याओं का संतोषजनक और शीघ्र ही समाधान नहीं होता तो इसके दुष्परिणाम इस क्षेत्र के बाहर भी फैल सकते हैं यह अति आवश्यक है कि जेनेवा सम्मेलन का पुन: आयोजन किया जाए और उसमें पीएलओ का प्रतिनिधित्व किया जाए। अध्यक्ष महोदय भारत सब देशों से मैत्री चाहता है और किसी पर प्रभुत्व स्थापित करना नहीं चाहता भारत ना तो आण्विक शस्त्र शक्ति है और न बनना ही चाहता है नई
सरकार ने अपने असंदिग्ध शब्दों में इस बात की पुनघोर्षणा की है हमारी कार्यसूची का एक सर्वस्पर्थी विषय जो आगामी अनेक वर्षों और दशकों में बना रहेगा वह है मानव का भविष्य। मैं भारत की ओर से इस महासभा को आश्वासन देना चाहता हूं कि हम एक विश्व के आदर्शों की प्राप्ति और मानव कल्याण तथा उसके गौरव के लिए त्याग और बलिदान की बेला में कभी पीछे नहीं रहेंगे। जय जगत धन्यवाद।

आप उनके दिए भाषण के शब्दों से अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्हें हिन्दी से कितना लगाव था। अटल बिहारी वाजपेयी ना सिर्फ एक बड़े राजनेता रहें है बल्कि हिन्दी में उन्होंने कई अच्छी कविताएं भी लिखी हैं। जो आज भी लोग बेहद पसंद करते हैं।

हिन्दी दिवस पर हमारा और आपका भी फर्ज बनता है कि ऩा सिर्फ एक दिन बल्कि अपनी भाषा के विकास और प्रचार के लिए हमेशा प्रयासरत रहे और सिर्फ 14 सितंबर ही नहीं बल्कि हर दिन अपनी भाषा हिन्दी को हिन्दी उत्सव की तरह मनाएं।