जाने अपना अधिकार: जीने के लिए ज़रूरी भोजन पाना सब का हक़
भोजन का अधिकार समाज के हर एक व्यक्ति को भूख से मुक्ति दिलाता है और साथ ही उसे सुरक्षित और पोषक भोजन उपलब्ध कराता है।
नई दिल्ली:
किसी भी व्यक्ति को जन्म के बाद से ही भोजन पाने का प्राकृतिक अधिकार मिला हुआ है। संयुक्त राष्ट्र महासभा की तरफ से गठित किए गए मानावाधिकार आयोग ये सुनिश्चत करता है कि कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे और सबको खाना मिले।
भोजन का अधिकार समाज के हर एक व्यक्ति को भूख से मुक्ति दिलाता है और साथ ही उसे सुरक्षित और पोषक भोजन उपलब्ध कराता है।
संयुक्त राष्ट्र महसभा ने 1948 के सार्वभौम (यूनिवर्सल) घोषणा पत्र के आर्टिकल-25 में भोजन के अधिकार को सुरक्षित रखा और इसे समानता, स्वतंत्रता के अधिकार तरह ही वर्णित किया।
इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संधि के अनुच्छेद-11 में भी भोजन के अधिकार को प्रमुखता से रखा गया है।
भारत में अब भी 20 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे हैं, इसलिए वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 119 देशों की सूची में 100वें नंबर पर पहुंच गया है। साथ ही भारत में हर साल कई बच्चे कुपोषण के कारण मौत के शिकार होते हैं।
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इसी नाकामी को देखते हुए भारत में सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में 2001 में भोजन के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार में अंतर्निहित किया।
इसलिए राज्यों को निर्देश है कि प्रत्येक नागरिक को समान रूप से भोजन देने और व्यक्ति के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास करें। संविधान के अनुच्छेद 39 (ए) और 47 में कहा गया है कि यह राज्य का प्राथमिक कर्तव्य हो।
भोजन का अधिकार सुरक्षित है...
- मानवाधिकार के सार्वभौम घोषणा पत्र के अनुच्छेद 25 में
- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संधि के अनुच्छेद-11 में
- बच्चों के अधिकार पर अंतर्राष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 24 और 27 में
- व्यक्ति के अधिकारों और कर्तव्यों के अमेरिकी घोषणा के अनुच्छेद में
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार
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भारत में भोजन के अधिकार को सुनिश्चित कराने के लिए सरकार जनवितरण प्रणाली (पीडीएस) सिस्टम जैसी योजनाएं लाई, लेकिन इसके बावजूद अब तक करोड़ों लोग जीवन के लिए ज़रूरी भोजन पाने से वंचित रह जाते हैं।
भारत सरकार के खाद्य सुरक्षा विधेयक-2013 गरीब से गरीब लोगों, महिलाओं और बच्चों को भोजन सुनिश्चित करवाता है। अगर नहीं उपलब्ध हो तो, इसके तहत शिकायत का भी अधिकार दिया गया है।
हाल ही में झारखंड में भूख से हुई 12 साल की बच्ची की मौत सरकार के कामों का पोल भी खोलती है, जो कि वयक्ति के मौलिक अधिकार को छीनने के बराबर है।
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