नई दिल्ली:
हिमाचल के चंबा में पिछले महीने टूटा परेल पुल धीरे धीरे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। रावी नदी पर बने परेल पुल का निर्माण 15 साल पहले चंबा-पठानकोट हाईवे पर 1.09 करोड़ रुपये की लागत से हुआ था।
लेकिन इसके गिरने के बाद अब पुल निर्माण की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग जोर पकड़ने लगी है।
स्थानीय निवासी लक्ष्मण का कहना है कि पुल टूटने से बहुत मुश्किल हो रही है। पहले यहां से जाना काफी नज़दीक पड़ता था। पुल टूटने से दूरी तो बढ़ी ही है ट्रैफिक जाम की भी समस्या बढ़ गयी है।
लक्षमण ने कहा, 'यह चंबा चुनाव में बहुत बड़ा मुद्दा बनने वाला है और इसका ख़ामियाज़ा दोनों पार्टियों को भुगतना होगा।'
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इसे आप दुर्घटना कहे या फिर राजनीतिक पार्टियों का दुर्भाग्य लेकिन हिमाचल में इस पुल के गिरने से लोग काफी नाराज हैं।
जानकारी के मुताबिक नाबार्ड योजना के तहत इस पुल का शिलान्यास 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने किया था। जिसके बाद 2003 में इसका निर्माण शुरू हुआ।
साल 2005 में वीरभद्र सिंह ने इस पुल का उद्घाटन किया।
लेकिन अब इस पुल के टूटने के बाद राज्य की दोनों पार्टियां इस मुद्दे से कन्नी काटती दिखाई दे रही है। लोगों का कहना है कि इस बार दोनों पार्टियों को पुल निर्माण में हुई धांधली की याद दिलाई जाएगी।
हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए 9 नवंबर को चुनाव होने हैं। हर बार की तरह इस बार भी मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच ही है। बीजेपी ने इस चुनाव में प्रेम कुमार धूमल को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं कांग्रेस वीरभद्र सिंह के चेहर पर चुनाव लड़ रही है।
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