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अब फिजिक्स में 5 और बायोलॉजी में 20% मार्क्स दिलाएगी मेडिकल सीट

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) में फिजिक्स में केवल 5%, केमस्ट्री में 10% से कम और बायोलॉजी सेक्शन में सिर्फ 20% मार्क्स हासिल करने वालों को बजी मेडिकल कॉलेजों में सीटें मिल गई हैं।

Updated on: 15 Apr 2018, 09:18 AM

नई दिल्ली:

नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) में फिजिक्स में केवल 5%, केमस्ट्री में 10% से कम और बायोलॉजी सेक्शन में सिर्फ 20% मार्क्स हासिल करने वालों को भी मेडिकल कॉलेजों में सीटें मिल गई हैं।

पिछले दो सालों में ऐसा नीट के 'पर्सेंटाइल' सिस्टम की वजह से हुआ है। इस बार भी 20 प्रतिशत से कम अंक लाने वालों को भी मेडिकल सीट आराम से मिल सकती है।

2016 में नीट अनिवार्य किए जाने से पहले सामान्य श्रेणी (जनरल वर्ग) के लिए कट ऑफ 50% और आरक्षित वर्ग के लिए 40% मार्क्स था। 2016 के बाद इसे 50 और 40 पर्सेंटाइल कर दिया गया है जिसकी वजह से नीट में 18-20 प्रतिशत अंक हासिल करने वालों के लिए भी मेडिकल कॉलेजों के दरवाजे खुल गए हैं।

दरअसल 2015 में आपको जनरल वर्ग में 50 प्रतिशत अंक लाने होते थे, इसका मतलब 720 अंक की प्रवेश परीक्षा में 360 अंक, लेकिन 2016 में आपको केवल 50 पर्सेंटाइल लाने थे इसका मतलब 720 में से केवल 145, जो कुल अंको का महज 20 प्रतिशत है।

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इसी तरह आरक्षित वर्ग को 40 पर्सेंटाइल लाने थे जिसका मतलब 720 में से 118 अंक (16.3 प्रतिशत) लाने पर भी उन्हें मेडिकल सीट मिली। इसी तरह 2017 में जनरल वर्ग के लिए 131 अंक (18.3 प्रतिशत) और आरक्षित वर्ग के लिए 107 अंक (14.8 प्रतिशत) की जरूरत पड़ी। 

इस साल नीट परीक्षा अगले महीने होने वाली है, जिसमें यही पर्सेंटाइल व्यवस्था लागू होगी। इस तरह 20 प्रतिशत से कम अंक लाने वाले परीक्षार्थी भी एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन ले सकेंगे। दरअसल, पर्सेंटाइल परीक्षार्थियों के अंक पर आधारित न होकर उनके अनुपात पर आधारित होता है।

यानी कि 50 पर्सेंटाइल का मतलब हुआ नीचे से सबसे कम अंक पाने वाले आधे बच्चों के अलावा बाकी परीक्षार्थी। इसी तरह 90 पर्सेंटाइल का मतलब होगा नीचे से सबसे कम अंक पाने वाले परीक्षार्थियों के अलावा बाकी बचे परीक्षार्थी। इसका मतलब यह नहीं होता कि उन्हें 90 प्रतिशत अंक मिले हैं।

इस तरह अब पर्सेंटाइल न सिर्फ कम अंक लाने पर भी बेहतर स्कोर देता है, बल्कि मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन भी दिला रहा है। इससे अंकों की दौड़ खत्म हुई है क्योंकि आपको सिर्फ बाकी परीक्षा देने वालों से ज्यादा मार्क्स लाने हैं।

उदाहरण के लिए अगर 300 मार्क्स के परीक्षा पत्र में आप 70 अंक लाए हैं और बाकी 60 या इससे कम, तो आपका पर्सेंटाइल सबसे (बाकी परीक्षा देने वालों से) बेहतर होगा।

इस तरह बीते दो साल में 18 से 20 पर्सेंटाइल लाने वालों को भी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिले हैं। माना जा रहा है कि इस बार भी यह मार्क्स बरकरार रहेगा।

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