logo-image

JNU के छात्रों को मिली राहत, दिल्ली हाई कोर्ट ने अटेंडेंस से जुड़े नियम लागू नहीं करने का दिया निर्देश

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) को निर्देश दिया कि वह ऐसा कोई उपक्रम लागू न करे, जिससे छात्रों को अपने उपस्थिति नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होना पड़े।

Updated on: 10 Aug 2018, 12:09 AM

नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawaharlal Nehru University) को निर्देश दिया कि वह ऐसा कोई उपक्रम लागू न करे, जिससे छात्रों को अपने उपस्थिति नियमों का पालन करने के लिए बाध्य होना पड़े। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने छात्र राजमाथंगी एस यूसुफ इंदौरवाला और नोयल मरियम जॉर्ज द्वारा दाखिल अवमानना याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया।

छात्रों ने जेएनयू (JNU), इसके कुलपति और रजिस्ट्रार के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा 16 जुलाई को दिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों की जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए आवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में विश्वविद्यालय को अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए कदम नहीं उठाने का निर्देश दिया था।

ये भी पढ़ें: RRB ALP EXAM: परीक्षा में शामिल हुए इतने अभ्यर्थी कि बन गया रिकॉर्ड

राजमथंगी के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल समेत वकील राहुल कुमार और वैभव सेठी ने अदालत से कहा कि आगामी सेमेस्टर में नए दाखिले या पुन: पंजीकरण की मांग करने वाले छात्रों को विश्वविद्यालय में यथावत भरे हुए और हस्ताक्षरित दाखिला पन्ने मुहैया करने की आवश्यकता थी।

वकील ने कहा कि छात्रों को एक अंडरटेकिंग भी देना है, जिसमें कहा गया हो, 'मैं कहता हूं कि मैं विश्वविद्यालय के उपस्थिति नियमों का हर तरीके से पालन करूंगा। मैं समझता हूं कि अगर मैं उपस्थिति आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता हूं, तो विश्वविद्यालय नियमों के मुताबिक कार्रवाई कर सकेगा।'

ये भी पढ़ें: CBSE class 10th compartment result 2018 का आ गया रिजल्ट, ऐसे करें चेक

छात्रों की याचिका में कहा गया है कि जेएनयू ने उच्च न्यायालय के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन किया है और विश्वविद्यालय के छात्रों को जबरदस्ती मजबूर किया जा रहा है कि वह प्रवेश प्रपत्र में पहले से घोषित नियमों का पालन करें।