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World Sight Day 2017: नेत्रदान कर दूसरों के जीवन को करें रोशन

आज World Sight Day है यह आंखों से संबंधित बीमारियों और उसके इलाज के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

Updated on: 12 Oct 2017, 05:25 PM

नई दिल्ली:

आज World Sight Day है यह आंखों से संबंधित बीमारियों और उसके इलाज के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो कि देख नहीं देख सकते है। ऑर्गन इंडिया के मुताबिक भारत में दो लाख कॉर्निया ट्रांसप्लांट की जरूरत है लेकिन सिर्फ 50 हजार कॉर्निया ही डोनेट हो पाते है। World Sight Day के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे जुड़े आंकड़े जारी किये।

  • दुनियाभर में 253 मिलियन लोग दृष्टिहीन है
  • 36 मिलियन लोग बिलकुल नहीं देख सकते और 217 मिलियन लोग ठीक से नहीं देख पाते है
  • 81% लोग जो बिलकुल देख नहीं देख सकते या बहुत थोड़ा देख पाते है वे 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र
  • विश्व में 15 साल की कम उम्र के 19 मिलियन बच्चों की आंखों की रोशनी नहीं है
  • दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत दृष्टिहीन लोग विकासशील देशों में रहते हैं
  • मोतियाबिंद अंधापन के प्रमुख कारण हैं
  • दृश्य हानि के शीर्ष कारण: अपवर्तक त्रुटियों (Refractive Error), मोतियाबिंद और ग्लूकोमा 
  • दृष्टिहीन या अंधेपन होने के कारण: मोतियाबिंद, ग्लूकोमा

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अपवर्तक त्रुटियां का मतलब है जब आंख के आकार की वजह से आप अच्छी तरह फोकस नहीं कर पाते हैं। चार सामान्य अपवर्तक त्रुटियों में शामिल हैं : 

  • मायोपिया या निकटदृष्टिता - पास की दृष्टि साफ होती है लेकिन दूर की चीजें कम दिखाई देती हैं
  • हायपरोपिया या दूरदर्शिता- दूर की चीजें साफ दिखाई देती हैं लेकिन पास की चीजें धुंधली होती हैं
  • जरादूरदृष्‍टि - बुढ़ापे की वजह से पास की चीजों पर फोकस कर पाने में अक्षमता
  • दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) - कॉर्निया के कारण होने वाली फोकस समस्याएं

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आंखों की रोशनी न होने से इन परेशानियों का सामना कर पड़ सकता है: 

  • आंखों की रोशनी न होने के कारण नौकरी न मिलना
  • तीन गुना एक्सीडेंट होने का खतरा
  • चलते हुए गिरने का दोगुना खतरा

नेत्रदान से आप दूसरे के जीवन में छाये अंधेरे को दूर कर सकते है। बता दें कि ब्रेन डेड होने के बाद ही नेत्रदान किया जा सकता है।

  • 100 साल तक: कॉर्निया, त्वचा
  • 70 साल तक: गुर्दा, जिगर
  • 50 साल तक: दिल, फेफड़े
  • 40 साल तक: हार्ट वाल्व

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