logo-image

World Diabetes Day 2019: सिर्फ इन आदतों को बदल लें मधुमेह से मिल जाएगी निजात

World Diabetes Day 2019: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवेल्यूएशन और पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की नवंबर 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 बरस में भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत का इजाफा हुआ.

Updated on: 13 Nov 2019, 03:45 PM

नयीदिल्ली:

World Diabetes Day 14th Nov 2019: डायबिटीज (Diabetes) देश में तेजी से बढ़ने वाली बीमारियों में से एक है. एक शोध की मानें तो पिछले 25 बरस में इस बीमारी के मामलों में 64 प्रतिशत इजाफा हुआ है और विशेषज्ञ इस बढ़ोतरी को देश की आर्थिक प्रगति के साथ जोड़कर देख रहे हैं. इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि आने वाले छह बरसों में देश में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 13.5 करोड़ से ज्यादा हो सकती है, जो वर्ष 2017 में 7.2 करोड़ थी.

यह भी पढ़ें: बैंक बोर्ड ब्यूरो (Banks Board Bureau) ने 3 सरकारी बैंकों के प्रमुखों के लिए नामों की सिफारिश की

25 साल में 64 फीसदी बढ़े मधुमेह के मामले

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड एवेल्यूएशन और पब्लिक हैल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की नवंबर 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 बरस में भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत का इजाफा हुआ. अब विश्व बैंक की एक रिपोर्ट पर नजर डालें तो 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 24, 867 रूपए थी, जो 2016 में बढ़कर 1,09,000 हो गई. इसका सीधा अर्थ है कि खुशहाली बढ़ने के साथ साथ मधुमेह के रोगी भी बढ़ते जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट (Metropolitan Museum of Art) की ट्रस्टी चुनी गईं नीता अंबानी

शोध के अनुसार साल 2017 में दुनिया के कुल डायबिटीज रोगियों का 49 प्रतिशत हिस्सा भारत में था और 2025 में जब यह आंकड़ा 13.5 करोड़ पर पहुंचेगा तो देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा बोझ होने के साथ ही आर्थिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती पेश करेगा क्योंकि सरकार देश की एक बड़ी आबादी को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान कर रही है.

धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, डॉ गौरव जैन के अनुसार डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन बनाने कि प्रक्रिया बाधित या कम हो जाती है. इन्सुलिन से शरीर को ऊर्जा मिलती है और इस प्रक्रिया के प्रभावित होने से शरीर के प्रमुख अंगों का संचालन बाधित होने लगता है. टाइप 1 डायबिटीज में हमारा शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाती है और मरीज़ को मुख्यत: इन्सुलिन थैरेपी पर आश्रित होना पड़ता है. टाइप 2 डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन के इस्तेमाल कि प्रक्रिया बाधित होती है. यह टाइप 1 से कम घातक होती है और आम है. इसमें दवाएं खाकर बीमारी को नियंत्रित रखा जा सकता है.

यह भी पढ़ें: Employees Provident Fund Organisation: कर्मचारियों के जीवन बीमा (Life Insurance) के लिए EPFO ले सकता है बड़ा फैसला

श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट के सीनियर एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, डॉ साकेत कांत, ने एक सर्वे के हवाले से बताया कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले तकरीबन 30 फ़ीसदी बच्चे मोटापे की गिरफ्त में हैं, जिनमें से बहुत से बच्चे प्री-डायबटिक हाइपरटेंशन के भी शिकार थे। यह आने वाली पीढ़ियों की सेहत की हालत की बड़ी चिंताजनक तस्वीर है. उनका कहना है कि बच्चों की इस हालत के लिए बच्चों से ज्यादा उनके माता पिता जिम्मेदार है क्योंकि उनकी दिनचर्या और खानपान की आदतें बच्चों की भी बीमारी के मुहाने पर ले आई हैं. उनका मानना है कि बच्चों पर किसी भी तरह की कठोर पाबंदी लगाने या उन्हें हिदायतें देने की बजाय अभिभावक स्वयं स्वस्थ आदतें अपनाएं.

यह भी पढ़ें: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने चालू वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया

जेपी अस्पताल, नोएडा में सीनियर कंसल्टेंट, डायबिटीज़ एंड एंडोक्रिनोलॉजी, डा. निधि मल्होत्रा का कहना है कि यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है तो बाकी सभी सदस्यों को सावधान होना होगा. डायबिटीज होने पर इसकी दवा लेना जरूरी है. मीठे का सेवन कम करने, खानपान और दिनचर्या में बदलाव और स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के साथ ही दवा भी लेनी होगी अन्यथा यह बीमारी एक घुन की तरह सारे शरीर को खोखला करती रहती है और अगर इसपर पूरी सावधानी से नजर न रखी जाए तो किडनी की समस्याएं, हृदयरोग, त्वचा सम्बन्धी समस्याएं, आँखों की रौशनी का प्रभावित होना, सुनने में दिक्कत, पैरों की नसों पर प्रभाव और घाव जल्दी न भरने जैसी बहुत सी परेशानियां घेर सकती हैं.