सावधान : कहीं आप भी हर 2 मिनट में खुश और अगले 2 मिनट में दुखी तो नहीं होते, हो सकती है गंभीर बीमारी
अगर आप हर दो मिनट में खुश हो जाते हैं फिर अचानक दुखी हो जाते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए.
New Delhi:
किसी भी चीज की अधिकता हमेशा से नुकसानदेह होती है. फिर चाहें बात आपके खुश होने की ही क्यों न हो. अगर आप हर दो मिनट में खुश हो जाते हैं फिर अचानक दुखी हो जाते हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए. यह एक मानसिक बीमारी बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण हैं. बाइपोलर ऐसी मानसिक बीमारी है जिसमें दिल और दिमाग लगातार या तो बहुत उदास रहता है या तो बहुत ही ज्यादा खुश रहता है. जानकारों की मानें तो "यह बीमारी 100 लोगों में से एक व्यक्ति को होती है.
इस बीमारी की शुरुआत 19 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में अत्यधिक देखने को मिलती है. इस बीमारी से पुरुष तथा महिलाएं दोनों प्रभावित होते हैं. पुरुष 60 प्रतिशत और महिलाएं 40 प्रतिशत प्रभावित होती हैं. यह बीमारी 40 साल के ऊपर के लोगों में कम होती है."
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रिपोर्ट में आए थे चौकाने वाले आंकड़े
देश में पहली बार स्वास्थ्य विभाग ने करीब 35 हजार लोगों को सम्मिलित कर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया, इसमें 0.3 प्रतिशत लोग इस बाइलोपर डिसऑर्डर से पीड़ित पाए गए. सर्वेक्षण में जो आंकड़े आये थे चौंकाने वाले थे. देश में करीब 0.3 प्रतिशत यानी 1000 में से 3 लोग इससे पीड़ित हैं. इस बीमारी में कई कारणों से लगभग 70 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं हो पाता है. कई लोगों को यह बीमारी लगता ही नहीं हैं. कई लोग इसे सामान्य मानते हैं जिस वजह से मरीज का इलाज नहीं हो पाता है.
लक्षण
- देखा गया है कि इस बीमारी में मरीज के मन में अत्यधिक उदासी,
- कार्य में अरुचि
- चिड़चिड़ापन
- घबराहट
- आत्मग्लानि
- भविष्य के बारे में निराशा
- शरीर में ऊर्जा की कमी
- अपने आप से नफरत
- नींद की कमी
- सेक्स इच्छा की कमी
- मन में रोने की इच्छा
इस बीमारी से ग्रस्त लोगो में आत्मविश्वास की कमी लगातार बनी रहती है और मन में आत्महत्या के विचार आते रहते हैं. मरीज की कार्य करने की क्षमता अत्यधिक कम हो जाती है. कभी-कभी मरीज का बाहर निकलने का मन नहीं करता है. किसी से बातें करने का मन नहीं करता. इस प्रकार की उदासी जब दो हफ्तों से अधिक रहे तब इसे बीमारी समझकर परामर्श लेना चाहिये.
इस विषय के जानकारों का कहना है कि इस बीमारी का बहुत ही सफल इलाज मौजूद है जो बहुत महंगा भी नहीं होता है. इस बीमारी से पीड़ित मरीज को अपने डॉक्टर द्वारा बताई गईं दवाएं बिना डॉक्टर के पूछे बन्द नहीं करनी चाहिए, चाहे लक्षण काबू में आ चुके हो.
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