शरीर के ऊतकों का सूजना कहलाता है लिम्फेडीमा, जानिये कारण और बचाव
लिम्फ तरल पदार्थ की अतिरिक्त मात्रा जमा हो जाने के कारण लिम्फेडीमा (शरीर के ऊतक में सूजन) की शिकायत हो जाती है।
नई दिल्ली:
लिम्फ तरल पदार्थ की अतिरिक्त मात्रा जमा हो जाने के कारण लिम्फेडीमा (शरीर के ऊतक में सूजन) की शिकायत हो जाती है। यह ज्यादातर शरीर में हाथ और पांव को प्रभावित करता है। हालांकि शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इसका असर पड़ सकता है। लिम्फेडीमा के कारण असहनीय दर्द और चलने फिरने की क्षमता प्रभावित होती है।
लिम्फ एक प्रोटीन से भरपूर तरल पदार्थ होता है जिसका संचार लिम्फ नलियों में होता है। यह फ्लूयड बैक्टीरिया, वायरस और अपशिष्ट जैसी चीज़ों को इकठ्ठा करते उन्हें आपके लिम्फ नोड्स में ले जाता है। आपके लिम्फ नोड्स तब आपके शरीर से अशुद्धियों को दूर करने के लिए तरल पदार्थ फ़िल्टर करते हैं।
आपको लिम्फेडीमा कई कारणों से हो सकता है। सूजन को कम करने के लिए कई इलाज उपलब्ध है।
कारण और प्रकार
अगर आपका लिम्फेटिक सिस्टम खराब या ब्लॉक हो जाता है, तो यह तरल पदार्थ आपकी त्वचा के नीचे ऊतक बन जाता है। लिम्फेडीमा दो प्रकार के होते है।
सेकेंडरी लिम्फेडीमा किसी अन्य बीमारी के कारण हो सकता है, जिसकी वजह से आपका लिम्फेटिक सिस्टम खराब या ब्लॉक हो गया हो। ज्यादातर यह लिम्फेटिक सिस्टम में इंफेक्शन, मच्छरों के काटने, कैंसर, सर्जरी और लिम्फ नोड को निकालने या चोट लगने की वजह से होता है।
प्राइमरी लिम्फेडीमा दुर्लभ होता है। यह अनुवाशिंक समस्या के कारण होता है जो लिम्फेटिक सिस्टम के ठीक तरह से विकसित ना होने के कारण होता है।
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लक्षण
लिम्फेडीमा का सबसे प्रमुख लक्षण दोनों हाथ और पैरों में सूजन आना होता है। यह सूजन उंगलियों से लेकर एड़ी तक पहुंच जाती है। जो समय के साथ बढ़ती रहती है।
पहने यह सूजन नरम और तरल होती है। पर ध्यान नहीं देने पर यह अधिक गहरी और रेशेदार हो सकती है। यह आपकी त्वचा को दानेदार बना सकती है।
आपको प्रभावित अंग में दर्द, भारीपन या चलने मे दिक्कत भी हो सकती है, जिससे व्यायाम करना या अन्य गतिविधियों को करना मुश्किल हो सकता है।
समय के साथ, इन लक्षणों से संक्रमण सहित अन्य समस्याओं और दुर्लभ मामलों में कैंसर हो सकता है। अगर आपकी बांह या पैर में सूजन दूर नहीं जाती है, तो आपको अपने डॉक्टर को देखना चाहिए।
इलाज
लिम्फसिंटीग्रिफी स्कैन के जरिए लिम्फ नलिओं की ब्लॉकेज का पता चल सकता है। इस के अलावा सूजन का पता एमआऱआई, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड के जरिये किया जा सकता है।
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