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रात में न सोने से दिमाग पर पड़ता है बुरा असर, हो सकता है डिप्रेशन

रातभर जागते रहने से नींद सबंधी दिक्कत हो सकती है। इसके कारण मनोदशा संबंधी विकार और खास तौर से डिप्रेशन का जोखिम बढ़ सकता है।

Updated on: 08 Dec 2017, 07:41 AM

नई दिल्ली:

बदलती आदतें और लाइफस्टाइल आजकल हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। ज्यादातर समय लैपटॉप और मोबाइल के साथ वक़्त बिताना और रात के समय न सोना आजकल आदत में शुमार हो चुका है।

रातभर जागते रहने से नींद सबंधी दिक्कत हो सकती है। इसके कारण मनोदशा संबंधी विकार और खास तौर से डिप्रेशन का जोखिम बढ़ सकता है। शोधकर्ताओं ने यह चेतावनी दी है।

अमेरिका की पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय के पीटर फ्रेंनजेन की अगुवाई में किए गए इस शोध में कहा गया है कि नींद से वंचित किशोर में जोखिम लेने के व्यवहार के पैदा होने तथा नशे की चपेट में आने का जोखिम रहता है।

इसकी वजह है कि ज्यादा समय से नींद से वंचित रहना पुटामेन के कामकाज को प्रभावित करता है। पुटामेन मस्तिष्क का वह भाग होता है जो लक्ष्य आधारित गतिविधियों व सीखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। नींद की कमी से मष्तिष्क की 'पुरस्कार प्रणाली' की सक्रियता भी कम हो जाती है।

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इस शोध को कैलिफोर्निया के अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूरोसाइकोफार्माकोलोजी की 56 वें सालाना बैठक के दौरान प्रस्तुत किया गया। इसमें शोधकर्ताओं ने 11 से 15 साल आयु वाले प्रतिभागियों के नींद के व्यवहार का अध्ययन किया।

शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि जब प्रतिभागियों को नींद से वंचित किया गया और उन्हें ज्यादा घंटों तक रिवार्ड गेम खेलने को कहा गया तो उस दौरान पुटामेन कम प्रतिक्रियाशील रहा।

जबकि बाकी की स्थितियों में मस्तिष्क के उस भाग ने उच्च व निम्न पुरस्कार वाली स्थितियों में कोई अंतर प्रदर्शित नहीं किया।

जिस रात प्रतिभागियों ने कम नींद पूरी की उसके अगले दिन उनके पुटामेन में कम सक्रियता देखी गई तथा उनमें अवसाद के लक्षण भी ज्यादा नजर आए।

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