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मुंबई, दिल्ली के बाद इंदौर में हुआ सबसे ज्यादा अंगदान, जानें भारत में अंगदान की स्थिति

मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर देश का तीसरा ऐसा शहर बन गया है, जहां बीते दो सालों में अंगदान में बढ़ोत्तरी हुई है।

Updated on: 25 Sep 2017, 07:57 AM

नई दिल्ली:

भारत में अंगदान की स्थिति ठीक नहीं है और इसके प्रति जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। अंगदान के बारे में जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण हमारे देश में अंगों की बर्बादी होती है। भारत में अंग डोनर्स की कमी के कारण अंगों के लिए इंतजार करते हुए 90 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है।

भारत में करीब 10,00,00 लोग लिवर ट्रांसप्लांट के इंतजार में है। पिछले साल 1500 से भी कम लिवर ट्रांसप्लांट किये गए थे। देश में हर साल करीब पांच लाख लोग अंग न मिलने के कारण अपनी जान गवां बैठते है। ऐसे में भारत के कुछ राज्यों ने मिसाल कायम की है

मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर देश का तीसरा ऐसा शहर बन गया है, जहां बीते दो सालों में अंगदान में बढ़ोत्तरी हुई है। सोसाइटी फार आर्गन डोनेशन की संभागायुक्त संजय दुबे की उपस्थिति में रविवार को हुई संभागीय कार्यशाला में बताया गया कि मुंबई और नई दिल्ली के बाद इंदौर देश का तीसरा शहर है, जहां पर सर्वाधिक अंगदान हुआ है।

पिछले दो साल में इंदौर के 26 लोगों ने अंगदान किया है जिससे 80 से ज्यादा लोगों की जान बची है।

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इसी साल नवंबर से इंदौर के एमवाय अस्पताल में बोनमैरो ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया शुरू होगी। अंगदान के क्षेत्र में सबसे अच्छा काम स्पेन में चल रहा है।

अंगदाता परिवार की सहमति के बाद मृत व्यक्ति का 24 घंटे में पोस्टमार्टम किया जाता है। उस समय सरकारी डाक्टर मौजूद रहता है। अंगदाता परिवार के दो सदस्यों को आजीवन स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाता है। इसके साथ परिवार के दो सदस्यों का आजीवन मुफ्त इलाज होता है।

दान किए गए अंगों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल या हवाई अड्डे तक ले जाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाया जाता है, इसका आशय है कि उस दौरान संबंधित सड़क पर एंबुलेंस के अलावा अन्य सभी वाहनों का परिवहन बंद रहता है।

पुलिस महानिदेशक अजय कुमार शर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्ष में इंदौर में 26 बार ग्रीन करीडोर बनाया गया जिसमें इंदौर ट्रफिक पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

अभी पिछले माह केरल में एक तीन वर्षीय बच्ची का अंगदान हुआ। अंगदान से किडनी, लीवर, त्वचा, छोटी आंत काम में ली जाती है। भारत में किडनी की सर्वाधिक मांग है।

भारत में किडनी की सबसे ज्यादा मांग है

  • भारत में करीब 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत है; हालांकि, उनमें से सिर्फ 3000 जरूरतमंदो को ही मिल पाती है।
  • 30 में से केवल 1 व्यक्ति ही किडनी ट्रांसप्लांट के लिए मिल पाती है।
  • 90% लोग अंग न मिलने के इंतजार में अपनी जान खो बैठते है
  • भारत में हर साल 25000 लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है लेकिन सिर्फ 800 लोगों को ही मिल पाता है

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भारत में अंग दान की स्थिति

भारत में अंग दाताओं की कमी एक गंभीर समस्या है। Donate Life India Organisation ने कुछ कारणों के बारे में बताया:

  • अंग दान के बारे में जागरुकता का अभाव होने के कारण हमारे देश में अंगों की बर्बादी होती है। भारत में करीब 10,00,00 लोग लिवर ट्रांसप्लांट के इंतजार में है। पिछले साल 1500 से भी कम लिवर ट्रांसप्लांट किये गए थे।
  • यहां तक ​​कि दान करने के इच्छुक लोग अक्सर अंग दान के पंजीकरण के बारे में ज्ञान की कमी के कारण अपनी इच्छा को सही तरीके से दर्ज करने में विफल हो जाते है।
  • जागरूकता और ज्ञान की कमी के कारण फेफड़े / जिगर / किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता वाले कई रोगी इस प्रक्रिया से डरते है।
  • अंग दाताओं की कमी भी काला बाजार में अवैध अंगों की मांग का कारण बनती है, जिसकी वजह से अधिक मौतें होती हैं।

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(इनपुट- आईएएनएस)