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2005-15 के बीच 5 साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 1 करोड़ की कमी

भारत में 2005-15 के बीच पांच साल से कम वर्ष की आयु के बच्चों की मृत्यु दर में एक करोड़ की कमी आई।

Updated on: 21 Sep 2017, 06:40 PM

highlights

  • 2005-15 के बीच 5 साल से कम आयु के बच्चों की म़त्युदर में 1 करोड़ कि कमी
  • 2000 से 2015 के बीच विभिन्न कारणों से 29 करोड़ बच्चों की मौत

नई दिल्ली:

भारत में 2005-15 के बीच पांच साल से कम वर्ष की आयु के बच्चों की मृत्यु दर में एक करोड़ की कमी आई। यह कमी निमोनिया, डायरिया, टिटनेस और खसरा जैसी बीमारियों के नियंत्रण के कारण संभाव हुई। इस बात की जानकारी लांसेट में छपी एक शोध के ने दी।

शोध ने जोर देकर कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के 2030 तक कम से कम प्रति 1000 पर 25 जीवित बच्चों तक पहुंचने के वैश्विक लक्ष्य को प्रप्त करने के लिए 1-59 महीने के समूह में बच्चों की मृत्यु दर में तेजी से गिरावट को बनाए रखने और नवजात शिशु मृत्यु दर में सालाना 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट को बनाए रखना जरूरी है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार 2000 से 2015 के बीच विभिन्न कारणों से पांच साल की उम्र से कम के 29 करोड़ बच्चों की मौत हो गई। टोरंटो में सेंट माइकल हॉस्पिटल के ग्लोबल हेल्थ रिसर्च सेंटर के प्रमुख और लेखकों में से एक डॉ प्रभात झा ने कहा, 'हालांकि, 2005 से, मृत्यु दर में कमी आई है यदि 2000-2005 की मृत्यु दर अपरिवर्तित रहती तो 2015 तक 30 करोड़ बच्चों की मृत्यु हो जाती।'

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शोध में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार की सार्वजनिक स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि, बच्चों को अस्पताल में जन्म देने के लिए महिलाओं में प्रोत्साहन और खसरा टीका की दूसरी खुराक लेने के प्रोग्राम ने इस संख्या में सुधार लाया है।

इस रिपोर्ट के अनुसार 1-59 महीने के समूह में बच्चों में मलेरिया की मृत्यु दर में धीमी गिरावट आई है। इसके अलावा यह भी बताया गया कि गरीब राज्यों और ग्रामीण इलाकों में कम वजन के बच्चों के जन्म में वृद्धि आई है। नवजात मृत्यु दर शहरी इलाकों से दुगुनी है।

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