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बाबा रामपाल : समर्थकों ने हिसार की अदालत में मचाया था बवाल, हाई कोर्ट में चलाना पड़ा था केस

हिसार के सतलोक आश्रम में 2006 में जमीन को लेकर भी विवाद हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या भी हुई थी। इसमें रामपाल के खिलाफ लंबा केस चला था। इस दौरान रामपाल समर्थकों ने हिसार की अदालत में बवाल मचा दिया था, जिसके कारण केस को हाईकोर्ट में चलाना पड़ा था।

Updated on: 16 Oct 2018, 01:08 PM

नई दिल्ली:

हिसार के सतलोक आश्रम में 2006 में जमीन को लेकर भी विवाद हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति की हत्या भी हुई थी. इसमें रामपाल के खिलाफ लंबा केस चला था. इस दौरान रामपाल समर्थकों ने हिसार की अदालत में बवाल मचा दिया था, जिसके कारण केस को हाई कोर्ट में चलाना पड़ा था. उस वक्त हाईकोर्ट के बार-बार बुलाने पर भी रामपाल हाजिर नहीं हुआ था. हालांकि मई 2018 में 12 साल से चल रहे जमीन धोखाधड़ी के मामले में रामपाल को अदालत ने बरी कर दिया था.

जूनियर इंजीनियर से बन गया संत

  • 1951 में रामपाल का जन्म सोनीपत के धनाणा गांव में हुआ था. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वह हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर बन गया.
  • 1977 से सरकारी नौकरी कर रहे रामपाल की मुलाकात कबीरपंथी संत स्वामी रामदेवानंद जी से हुई। इसके बाद रामपाल की सत्संग करने में रुचि हो गई.
  • 1995 में रामपाल ने 18 साल की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पूर्णकालिक रूप से प्रवचन करने लगा.
  • खुद को कबीरपंथी होने का दावा करते हुए रामपाल ने 1999 में हरियाणा के करौंथा गांव में सतलोक आश्रम की स्थापना की थी.

कष्ट हरने को करता था स्पेशल पूजा
पुलिस जांच में पता चला था कि रामपाल अपने आश्रम में कष्ट निवारण के नाम पर स्पेशल पूजा कराता था. लगभग दो से तीन हजार भक्त स्पेशल पूजा में शामिल होते थे. इस पूजा के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 9 हजार रुपये लिए जाते थे. आश्रम में रोजाना के चढ़ावे के अलावा नामदान देने के भी अलग से पैसे वसूले जाते थे.

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5500 पेज की चार्जशीट
पुलिस ने रामपाल के खिलाफ 5500 पेज की चार्जशीट तैयार की थी. इस चार्जशीट में पुलिस ने देशद्रोह, हत्या, हत्या की कोशिश सहित विभिन्न मामलों में 939 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उनके बयान दर्ज किए हैं. इस मामले में पुलिस द्वारा करीब 400 गवाह बनाए गए थे.

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आर्य समाजियों को बनाता था निशाना
रामपाल अपने प्रवचन में अक्सर आर्य समाजियों को निशाना बनाता था. 2006 की जुलाई में रामपाल ने अपनी एक पुस्तक में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद पर विवादास्पद टिप्पणी की थी. इसके बाद आर्य समाज के समर्थकों और रामपाल के समर्थकों के बीच आश्रम के बाहर हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान 13 जुलाई को पुलिस ने करौंथा आश्रम को कब्जे में ले लिया था. इस मामले में हरियाणा पुलिस ने रामपाल और उसके 24 सहयोगियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. उसे 22 महीने तक जेल में रहना पड़ा था. इस मामले में रामपाल की अप्रैल 2008 में रिहाई हो गई थी. 2009 में रामपाल को आश्रम भी वापस मिल गया था.