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अय्यर की 'नीच' बयानबाजी, आक्रामक BJP और राहुल का 'डैमेज कंट्रोल'

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार बंद होने से कुछ घंटों पहले मणिशंकर अय्यर ने वह कर दिया, जिससे कांग्रेस अब तक सफलतापूर्वक टालती आई थी।

Updated on: 07 Dec 2017, 09:14 PM

highlights

  • मणिशंकर अय्यर की विवादित बयानबाजी के बाद राहुल गांधी का डैमेज कंट्रोल
  • मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को 'नीच' और 'असभ्य' बताया 
  • राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद अय्यर ने मांगी पीएम मोदी से माफी

नई दिल्ली:

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार बंद होने से कुछ घंटों पहले मणिशंकर अय्यर ने वह कर दिया, जिससे कांग्रेस अब तक सफलतापूर्वक टालती आई थी।

पिछले 22 सालों के दौरान पहली बार कांग्रेस राहुल गांधी की अगुवाई में बीजेपी को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है और इसकी वजह कांग्रेस की तरफ से गुजरात में बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नीतिगत मुद्दों पर चलाया जा रहा चुनावी अभियान रहा है।

हालांकि अय्यर के एक विवादित बयान ने न केवल कांग्रेस को बचाव की मुद्रा में ला खड़ा किया, बल्कि एक ऐसे सियासी विवाद को तूल देने में सफल रहा, जिसे टाला जा सकता था।

दिल्ली स्थित इंटरनैशनल बाबा साहेब अंबेडकर सेंटर का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस और राहुल गांधी पर इशारों में जमकर निशाना साधते हुए कहा था कि कांग्रेस ने एक परिवार को बढ़ाने के लिए बाबा साहेब के योगदान को दबाया।

पीएम के इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मणिशंकर अय्यर ने मोदी को 'नीच' और 'असभ्य' तक बता डाला।

अय्यर ने कहा, 'मुझको लगता है कि ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है?'

हालांकि कांग्रेस ने अय्यर के बयान की निंदा करते हुए इससे खुद को अलग कर लिया है, लेकिन बीजेपी ने उनके बयान को गुजरात की 'अस्मिता के अपमान' से जोड़ते हुए इसे राहुल और कांग्रेस के ''इशारे' पर दिया गया बयान बताया।

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सबसे पहले सूरत की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही अय्यर के बयान पर पलटवार किया, जिसके बाद पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अय्यर को कांग्रेस का 'दरबारी' बता डाला, जिन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी की 'सहमति' से मोदी पर निजी हमले किए।

पीएम मोदी का पलटवार

सूरत की चुनावी रैली में अय्यर के बयान पर पलटवार करते हुए पीएम ने कहा, 'वह मुझे नीच कह सकते हैं, हां मैं समाज के गरीब तबके से आता हूं और मैं अपने जीवन का पूरा समय गरीबों, दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की सेवा में बिता दूंगा। वह बोलते रहेंगे और हम काम करते रहेंगे।'

मोदी ने यह कहने में देर नहीं लगाई कि अय्यर की इस बयानबाजी का जवाब वह नहीं बल्कि गुजरात की जनता मतदान के जरिये देगी।

मोदी ने कहा, 'वह मुझे नीच बुलाते हैं, लेकिन हमारा संस्कृति बेहद मजबूत है। हमें ऐसे लोगों के बयान पर कुछ नहीं कहना है। हमारा जवाब अब बैलेट बॉक्स के जरिये आएगा। हमने उनकी तरफ से बहुत बेइज्जती झेली हैं। जब मैं राज्य का मुख्यमंत्री था, तब उन्होंने मुझे मौत का सौदागर कहा था और मुझे जेल भेजना चाहते थे।'

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पिछले आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में मोदी पर हुए निजी हमले और उसके सियासी नुकसान से सबक लेते हुए राहुल गांधी ने गुजरात ईकाई के नेताओं को पीएम मोदी के खिलाफ निजी हमले नहीं करने के साफ-साफ दिशानिर्देश जारी किए थे।

2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ बताया था, और फिर इस बयान को बीजेपी ने हिन्दू अस्मिता से जोड़ कर चुनावी मुद्दा बनाने में देर नहीं की। नतीजा कांग्रेस राज्य में बुरी तरह हारी।

निजी हमले से दूरी

यही वजह रही कि जब राहुल गांधी ने गुजरात के चुनाव प्रचार की कमान संभाली तो उन्होंने निजी हमले करने की बजाए नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के साथ बेरोजगारी और शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे को चुनावी मुद्दा बना कर बीजेपी को घेरने की कोशिश की।

और बहुत हद तक राहुल इस रणनीति में सफल भी रहे क्योंकि बीजेपी भी इन्हीं मुद्दों पर सफाई और पलटवार कर रही थी।

राहुल साफ कर चुके थे कि कांग्रेस किसी भी सूरतेहाल में बीजेपी को कोई मौका नहीं देगी, और यही वजह रही कि पार्टी अपने सबसे लोकप्रिय कैंपेन 'विकास गांडो थयो छे' (विकास पगला गया है) तक को बंद करने से भी पीछे नहीं हटी।

दरअसल कांग्रेस का यह नारा गुजरात में बेहद लोकप्रिय हो रहा था, लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में 'मैं विकास हूं, मैं ही गुजरात हूं' का नारा दिया तब राहुल ने गुजरात कांग्रेस के प्रभारी अशोक गहलोत को लेकर चिट्ठी लिखकर इस कैंपेन को बंद करने के साथ ही राज्य के नेताओं को पीएम पर निजी हमले नहीं करने के निर्देश दिए।

राहुल का डैमेज कंट्रोल

हालांकि पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार बंद होने से ठीक कुछ घंटो पहले अय्यर की बयानबाजी ने कांग्रेस को बचाव की मुद्रा में ला खड़ा किया, लेकिन राहुल ने बेहद सूझ-बूझ से इस मुद्दे को 'मुद्दा' बनने से रोक दिया।

'मौत का सौदागर', 'खून की दलाली', और 'चाय वाला' जैसी गलतियों से सबक लेते हुए राहुल ने मामले में तत्काल दखल दिया और अय्यर को पीएम से माफी मांगने के लिए कहा, जिसे मानते हुए उन्होंने माफी भी मांग ली।

राहुल ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मणिशंकर अय्यर की भाषा और तेवर का सम्मान नहीं करता। मैं और कांग्रेस दोनों ही उनसे माफी की उम्मीद करते हैं।'

उन्होंने कहा कि बीजेपी और प्रधानमंत्री दोनों ही कांग्रेस पार्टी के खिलाफ गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं लेकिन हमारी संस्कृति और विरासत अलग है।

इसके बाद बड़ी कार्रवाई करते हुए कांग्रेस ने अय्यर को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित कर दिया।

इससे पहले भी पिछले आम चुनाव के ठीक पहले अय्यर ने ऐसी ही टिप्पणी कर बीजेपी को बैठे बिठाए मौका दे दिया था और कई विश्लेषकों के मुताबिक इस तरह की बयानबाजी का नुकसान कांग्रेस को 2014 के आम चुनावों में उठाना भी पड़ा था।

अय्यर ने इससे पहले 2014 लोकसभा चुनावों के वक्त पीएम मोदी को 'चायवाला' भी कहा था।

हालांकि पिछले मौके की तरह इस बार कांग्रेस ने न केवल इस बयान से खुद को अलग किया, बल्कि अय्यर से पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया।

राहुल गांधी के कांग्रेस का आधिकारिक नेतृत्व संभालने से पहले की गई इस कार्रवाई को मास्टरस्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है, जिसने इस पूरे मुद्दे को 'चुनावी मुद्दा' बनाने की बीजेपी की रणनीति को कामयाब होने से पहले ही पटरी से उतार दिया है।

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