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भगवा दुर्ग में मजबूत हुई कांग्रेस, गुजरात में छठी बार BJP बनाएगी सरकार, सीटें घटी-जनाधार बढ़ा

2012 के मुकाबले इस बार बीजेपी की सीटों में कमी आई है वहीं कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ है। हालांकि पिछली बार के मुकाबले इस बार गुजरात में बीजेपी का जनाधार मजबूत हुआ है।

Updated on: 19 Dec 2017, 10:01 AM

highlights

  • गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार छठी बार सरकार बनाने जा रही है
  • पिछले चुनावों के मुकाबले देखा जाए तो इस बार उसे अपने गढ़ में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली
  • 2012 के मुकाबले इस बार बीजेपी की सीटों में कमी आई है वहीं कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ है

नई दिल्ली:

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लगातार छठी बार सरकार बनाने जा रही है।

राज्य में पिछले 22 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी को 2017 में स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले देखा जाए तो इस बार उसे अपने गढ़ में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिली।

2012 के मुकाबले इस बार बीजेपी की सीटों में कमी आई है वहीं कांग्रेस की सीटों में इजाफा हुआ है। हालांकि पिछली बार के मुकाबले इस बार गुजरात में बीजेपी का जनाधार मजबूत हुआ है।

182 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी 2012 के 115 सीटों के मुकाबले 100 से भी कम सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस को जहां गुजरात में 77 सीटों पर जीत मिली है वहीं बीजेपी 99 सीट जीतने में सफल रही है।

गुजरात में सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 92 है। 

2014 के लोकसभा चुनाव से अगर तुलना की जाए तो राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन खराब हुआ है। पिछले आम चुनाव में बीजेपी को गुजरात में करीब 60 फीसदी वोट मिले थे जो इस विधानसभा चुनाव में कम होकर 49.1 फीसदी हो गया।

मौजूदा चुनाव में बीजेपी को कुल मतों का 49.1 फीसदी हिस्सा हासिल हुआ है, जबकि कांग्रेस को 41.4 फीसदी।

यानी बीजेपी को कड़ी टक्कर के बावजूद कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा वोट शेयर मिले और यह सीटों की संख्या में बदल नहीं पाया।

सामान्य शब्दों में इसे ऐसे समझा जा सकता है कि मौजूदा चुनाव में गुजरात में बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत का मार्जिन कांग्रेसी उम्मीदवारों के मुकाबले अधिक रहा। मिसाल के तौर पर राज्य के शहरी क्षेत्रों में पार्टी के उम्मीदवारों की जीत का औसत अंतर करीब 50,000 रहा जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत करीब 25,000 से अधिक रहा।

यानी बीजेपी उम्मीदवार जीते और उन्हें वोट खूब मिले वहीं उसके उलट कांग्रेस उम्मीदवार भी जीते लेकिन उनकी जीत का अंतर ज्यादा नहीं रहा।

वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 115 सीटें मिली थी जबकि पार्टी का वोट फीसदी 48.30 था जबकि कांग्रेस को कुल 61 सीटों पर जीत मिली थी जबकि उसकी वोट हिस्सेदारी 40.59 फीसदी रही थी।

2002 के बाद से देखा जाए तो राज्य में सीटों और वोट फीसदी के लिहाज से कांग्रेस लगातार मजबूत हुई है वहीं बीजेपी की सीटों की संख्या में गिरावट के साथ जनाधार में कमजोरी आई।

2002 विधानसभा चुनाव

2002 के चुनाव में बीजेपी को राज्य विधानसभा की कुल 127 सीटों पर जीत मिली थी और उसे 49.85 फीसदी मत मिले थे।

जबकि कांग्रेस को 51 सीटें मिली और उसे कुल मतों का 39.59 फीसदी हिस्सा हासिल हुआ।

2007 विधानसभा चुनाव

इस चुनाव में बीजेपी को कुल 117 सीटें मिली जबकि उसका वोट फीसदी मामूली कम होकर 49.12 फीसदी रहा। 

वहीं कांग्रेस के सीट और वोट हिस्सेदारी दोनों में इजाफा हुआ। कांग्रेस को जहां इस बार 59 सीटें मिलीं वहीं उसे कुल 39.63 फीसदी मत मिले।

2012 विधानसभा चुनाव

इस चुनाव में बीजेपी को 182 सीटों में से 115 सीटों पर जीत मिली जबकि उसकी वोट हिस्सेदारी कम होकर 48.30 फीसदी हो गई।

वहीं कांग्रेस की सीट संख्या बढ़कर 61 हो गई जबकि उसके जनाधार में भी बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 40.59 फीसदी मत मिले।

हालांकि 2017 के चुनाव में यह ट्रेंड पलटता दिखाई दे रहा है। बीजेपी को इस चुनाव में जहां सीटों का ज्यादा नुकसान हुआ है वहीं उसके जनाधार में कोई कमी नहीं आई है। बल्कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार गुजरात में बीजेपी की मत हिस्सेदारी में इजाफा हुआ है।

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी को इस चुनाव में 49.1 फीसदी मत मिला है वहीं कांग्रेस की मत हिस्सेदारी बढ़कर 41.4 फीसदी हो गई।

सीटों के लिहाज से बीजेपी को हुआ नुकसान दो मायनों में अहम है। पहला गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य रहा है और उन्होंने 'गुजरात मॉडल' को 'मॉडल ऑफ गवर्नेंस' के तौर पर देश के सामने रखा है। ऐसे में अपने ही गृह राज्य में सीटों का नुकसान सांकेतिक तौर विपक्ष को सवाल उठाने का मौका दे सकता है।

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दूसरा यह चुनाव सरकार को जीएसटी पर विपक्ष की आलोचना से निपटने का मौका देगा। 

गौरतलब है कि यूपी समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों को मोदी सरकार ने नोटबंदी पर जनादेश बताते हुए कहा था कि गुजरात चुनाव जीएसटी पर जनादेश साबित होगा। और उम्मीद के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन नतीजों को जीएसटी पर जनादेश ही बताया।

हालांकि गुजरात चुनाव के नतीजों से पहले औद्योगिक संगठन इस बात का संकेत दे चुके हैं कि आने वाले दिनों में अब मोदी सरकार से किसी बड़े आर्थिक सुधार की उम्मीद करना बेमानी होगी।

चुनाव के नतीजों से ठीक एक दिन पहले औद्योगिक संगठन एसोचैम ने कहा था कि आने वाले दिनों में अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए किसी बड़े आर्थिक सुधार की गुंजाइश बेमानी होगी।

औद्योगिक संगठन एसोचैम ने कहा था कि आने वाले दिनों में भारतीय कारोबारी जगत को किसी बड़े आर्थिक सुधार की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।

एसोचैम की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 2018 में गुजरात समेत देश के अन्य प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद भारतीय कारोबारी जगत को राजनीतिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखना होगा।

इसमें कहा गया है कि इन दोनों चुनावों के नतीजों का असर न सिर्फ सरकार के आर्थिक फैसलों पर होगा, बल्कि आगामी बजट पर भी होगा, जो एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का अंतिम पूर्ण बजट होगा। 2019 में अगला लोकसभा चुनाव होना है, जिसे लेकर देश के प्रमुख दलों ने अपनी कमर कस ली है।

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