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बीजेपी ने यूपी में जारी की 28 उम्मीदवारों की सूची, 20 फीसदी सांसदों के टिकट काटे

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में बीजेपी विजय के लिए कोई समझौता करने को तैयार नहीं है.

Updated on: 22 Mar 2019, 09:19 AM

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में बीजेपी विजय के लिए कोई समझौता करने को तैयार नहीं है. बीजेपी ने यूपी के मैदान ऐ जंग में उतरने वाले 28 योद्धाओं के नामों का ऐलान कर दिया है. इस बार बीजेपी ने 6 सांसदों का टिकट काट दिया है, जिसके जगह नए प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा गया है. पहले राउंड में एक केंद्रीय मंत्री सहित चार दलित सांसदों पर गाज गिरी है.

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पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह वाराणसी और लखनऊ से चुनाव लड़ेंगे. अमूमन, राजनाथ सीट बदलते रहते हैं, लेकिन इस बार राजनाथ ने लखनऊ से ही दोबारा चुनाव लड़ने का फैसला किया है. वीके सिंह, महेश शर्मा, सत्यपाल सिंह और स्मृति ईरानी का नाम घोषित कर इन क्षेत्रों में पुराने उम्मीदवारों पर ही दांव लगाया है, लेकिन मुरली मनोहर जोशी और कलराज मिश्रा का नाम लिस्ट में नाम नहीं है. इससे पार्टी ने संकेत दे दिया है कि जोशी और कलराज को शायद ही पार्टी चुनाव लड़ाए. अब इस संकेत को समझ कर दोनों नेता अपने आप ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दें पार्टी इस इंतजार में है.

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पार्टी ने पहले चरण में जिन 8 जिलों में चुनाव होना है उनमें से कैराना और दूसरे चरण की 8 सीटों में से नगीना बुलंदशहर और हाथरस सीट से अभी किसी प्रत्याशी का नाम तय नहीं किया है. कैराना में पार्टी हुकुम की बेटी मृगांका के बजाय किसी गुर्जर पर दांव लगा सकती है. नगीना से पार्टी बुलंदशहर के पूर्व सांसद रहे धर्मेंद्र प्रधान के नाम पर विचार कर रही है, जबकि बुलंदशहर के सांसद भोले सिंह की पैरवी में कल्याण सिंह जूटे हैं.

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इस सूची में साध्वी निरंजन ज्योति और मेनका का नाम भी नहीं है. मेनका गांधी अपनी सीट पीलीभीत वरुण को देकर खुद आंवला सीट से लड़ना चाहती थीं, लेकिन धर्मेंद्र को दोबारा आंवला सीट से प्रत्याशी बनाया गया है. पार्टी वरुण को टिकट देने के लिए उत्साहित भी नहीं है. निरंजन ज्योति की फतेहपुर के बजाय हमीरपुर से लड़ने के कारण उनकी टिकट पर भी कोई फैसला नहीं हो पाया है. पार्टी ने केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज और रामशंकर कठेरिया सहित 4 दलित सांसदों का टिकट काट दिया है.

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शाहजहांपुर से सांसद कृष्णा राज और योगी के मंत्री सुरेश खन्ना में 36 का आंकड़ा है. कृष्णा राज का आम जनता से भी संवाद बेहतर नहीं था. वहीं, आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया की टिकट काटने का बड़ा कारण उनके बयान और विवादों में रहने की आदत है. कठेरिया पर फर्जी तरीके से रीडर और प्रोफेसर बनने का आरोप लग चुके हैं. पार्टी के विधायकों से मनमुटाव भी उनकी टिकट कटने के पीछे का बड़ा कारण है. इसके अलावा फतेहपुर सीकरी से इस बार बाबूलाल की जगह राजकुमार चाहर पर दांव लगाया है. बीजेपी किसान मोर्चा के महामंत्री चाहर ने 2014 में बीजेपी जॉइन की थी.

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हरदोई जिले की दोनों सीटों पर खराब परफॉरमेंस के चलते प्रत्याशी बदल दिए गए हैं. अंशुल की जगह जयप्रकाश रावत और अंजुबाला की जगह अशोक रावत को मौका मिला है. जय प्रकाश रावत हरदोई से दो बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा में रह चुके हैं तो अशोक रावत भी 2009 में बीएसपी से मिश्रिख के सांसद रहे हैं. सम्भल से सत्यपाल सैनी का टिकट काटने का कारण सैनी जाति के ही परमेश्वर लाल सैनी को बीजेपी ने उम्मीदवार बनाकर सैनी समाज को साधने की कोशिश की है. चाय कारोबारी परमेश्वर एक साल पहले ही बीजेपी में शामिल हुए हैं. सैनी बीएसपी से एमएलसी भी रह चुके हैं.